छत्तीसगढ़ में कोरोना की यह तीसरी लहर नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से है। यह नतीजा अभी आए जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट पर आधारित है। मंगलवार को प्रदेश के 4 नए ओमिक्रॉन मरीज मिले हैं। जिन लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि हुई है उनमें स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी एक हैं। सिंहदेव 2 जनवरी को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। चार में से दो तो यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) से लौटे थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री और एक अन्य को बीमारी यहीं लग गई।
छत्तीसगढ़ के एपिडेमिक कंट्रोल विभाग के डायरेक्टर डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, हमने जिन लोगों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए ओडिशा के भुवनेश्वर भेजे थे, उनमें चार की रिपोर्ट आई है। उनमें ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण पाया गया है। सभी रायपुर के हैं। इनमें से दो की ट्रैवल हिस्ट्री है। वे लोग UAE-दुबई से वापस लौटे थे। यहां जांच हुई तो वे पॉजिटिव पाए गए। उसके बाद उनके नमूनों को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था।
हर जिले से 5% सैंपल जीनोम सीक्वेसिंग के लिए भेजे जाते हैं
दूसरे दो लोगों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। वे लोग यहीं ओमिक्रॉन संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। डॉ. सुभाष मिश्रा ने कहा, इसका मतलब है कि ओमिक्रॉन का संक्रमण सोसाइटी में फैल चुका है। स्वास्थ्य विभाग, विदेश से लौटकर पॉजिटिव पाए गए लोगों और किसी क्लस्टर में पॉजिटिव पाए गए। सभी लोगों से लिए नमूनों को ओमिक्रॉन और किसी दूसरे वैरिएंट की पहचान के लिए भुवनेश्वर लैब भेजा जाता है। हर जिले से कोरोना पॉजिटिव पाए गए कुल लोगों में से 5% के नमूने भी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भुवनेश्वर भेजे जाते हैं। ऐसा रेंडम जांच के लिए किया जाता है ताकि कुछ नमूनों की जांच से वायरस में बदलाव की पहचान की जा सके।
पिछले सप्ताह बिलासपुर में मिला था पहला केस
स्वास्थ्य विभाग ने 5 जनवरी को छत्तीसगढ़ के पहले ओमिक्रॉन केस की पुष्टि की थी। बताया गया कि बिलासपुर के 52 वर्षीय कारोबारी 2-3 दिसंबर को UAE से लौटे थे। आइसोलेशन की अवधि पूरा करने के बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 17 दिसंबर को उनका नमूना भुवनेश्वर भेजा गया। उसकी रिपोर्ट 5 जनवरी को आई तब तक वे ठीक हो चुके थे और उन्होंने अपनी दुकान पर बैठना शुरू कर दिया था।