Revolt of 1857: 29 मार्च का दिन भारत के इतिहास में बड़ा दिन माना जाता है. आज ही के दिन 1857 में मंगल पांडे ने भारत की आजादी के लिए पहला आंदोलन शुरू किया था. 1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे से अंग्रेज इतने खौफ खाते थे कि उनकी फांसी के लिए मुकर्रर तारीख से 10 दिन पहले ही उन्हें चुपके से फंदे से लटका दिया गया था. मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी.
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को फैजाबाद के सुरुरपुर में हुआ था. वह1849 में 18 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्ट्री में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे. 1850 में सिपाहियों के लिए नई इनफील्ड राइफल लाई गई. इन नई इनफील्ड राइफलों के कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी मिली होती थी. इस कारतूसों को उपयोग करने से पहले मुंह से काटना पड़ता था. ऐसे में यह बात हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ था.
मंगल पांडे ने इस बात का विरोध किया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 29 मार्च 1957 को मंगल पांडे ने विद्रोह कर कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया. जिसके चलते उन्हें सेना से निकाल दिया गया. पांडे ने विद्रोह करते हुए कई सिपाहियों को साथ ले लिया और अंग्रेज अफसर हेअरसेय पर हमला बोल दिया. उन्होंने ‘मारो फिरंगी को’ का नारा भी दिया.
बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनका कोर्ट मार्शल हुआ. मुकदमे के दौरान उन्होंने अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह की बात स्वीकार ली और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. तय किया गया कि उन्हें 18 अप्रैल को फांसी दी जाएगी. लेकिन अंग्रेजों को डर था कि पांडे द्वारा फूंका गया बिगुल जल्द ही आग की तरह पूरे हिंदुस्तान में फैल जाएगा. विद्रोह की चिंगारी मेरठ की छावनी पहुंच गई थी. 10 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने मेरठ की छावनी में बगावत कर दी.
अंग्रेजी हुकूमत इस बात से डर गई और उन्होंने फैसला किया कि 18 अप्रैल की जगह उन्हें 8 अप्रैल को फांसी दी जाएगी. 1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था. जिसकी शुरुआत 29 मार्च को मंगल पांडे ने की थी.