रेलवे स्टेशन में पत्रकारों के साथ गुंडागिरी से उपजे ढेरों सवाल..
अम्बिकापुर ;
*रेलवे स्टेशन के बाहर रोड पर खड़ी गाड़ियों पर रेल्वे वाहन ठेकेदार द्वारा अवैध रकम वसूली*
ठेकेदार ने बेरियर लगाकर स्टेशन जाने वाले हर वाहन से बिना पार्किंग किये पार्किंग चार्ज लें लिया करता है।
बेरियर पर 2 महिला कर्मचारी द्वारा रेलयात्री के वाहन इंटर होते ही चिल्लाने लगती हैं और पैसों की मांग करती हैं, कोई ड्राइवर या परिजन यात्री को सिर्फ ड्राप करने आया रहते हैं उससे विवाद करते हैं। वहां ठेकेदार व उनके 3,4 कर्मचारी लड़के बैठे रहते हैं जो यात्रियों को धमकाते हैं। जिसे लेकर
20 , 25 दिन पहले इसी बात को लेकर ठेकेदार को राजेश्वर सिंह
रिटायर्ड एआईजी,सरगुजा के द्वारा समझाइश दी गई थी, जबकि पत्रकारों से भी बदतमीजी की जा रही है। जिस पर पुलिस प्रशासन भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
उनके द्वारा कहा जा रहा है कि भुक्तभोगी थाने जाकर रिपोर्ट लिखवावें।
उमाकांत पांडेय ने जानकारी दी है कि दो दिन पहले पत्रकारों के साथ वहां पार्किंग स्टैंड के ठेकेदार कोचियों ने जो किया है पुलिस की कथित निष्क्रियता को बयां कर रहीं हैं।
पुलिस की वर्दी को शर्मसार कर देने वाली यह घटना होती ही नहीं। इस शहर में एकबार फिर से शहर के अमन चैन के लिये खतरे की घंटी है।यही वह शहर है जहाँ संजय चौधरी जैसे एस.पी.भी हुए..सारे सड़क के गुंडो को सरेआम लाठियों से पीटते हुए ,घसीटते हुए कोर्ट तक लेकर गये थे।साँस थम गयी थी गुंडों की।लापता हो गये थे बदमाश।तब शांति की हवा बहने लगी थी शहर में।अब तो हालत यह है कि कोई आम आदमी सरे राह चलते अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित रहता है।
जो स्थानीय पुलिस के कार्य शैली पर प्रश्न चिह्न लगा रहा है। यह सोचने का विषय है।
दो दिन पहले जो कुछ हुआ है उसकी जानकारी लोगों तक पहले-पहल पहुंचा रही है,
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पत्रकार के साथ हुआ जबरदस्ती
1-रात के ग्यारह बारह बजे महिलाएं क्या कर रही थीं.. पुरुषों के साथ ?पार्किंग मैं बैठकर,
2- सरगुजा में स्टैंड संचालन कार्य महिला स्व- सहायता समूहों को दी गयी है..फिर पुरुषों का वहां क्या काम?
3-आर. पी.एफ. कैंप बगल में है..विवाद के दौरान वे कहाँ पर थे ?
4- यह क्षेत्र सरगुजा पुलिस के अधीन आता है, एक सिपाही तक वहां मौजूद क्यों नहीं था ?
स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा जिम्मेदारी फिसड्डी दिखाई दे रही है।
5-पुलिस प्रशासन के पास सभी आटो चालकों का वेरीफिकेशन रिकॉर्ड होता है फिर भी कोई उचित कार्रवाई करते नजर नहीं रहे हैं।
6-और ट्रेन के चले जाने के बाद इस बित्ताभर के रेलवे स्टेशन में आटोवालों का बेसमय महिला जमावड़े का होना अनेक गलतफहमियां पैदा कर रही है।
7- अगर पत्रकारों के कलम से लिखे जाने वाले शिकायत पर पुलिस प्रशासन जिम्मेदारी पूर्वक कार्यवाही नहीं होगी तो गुंडे बदमाश के बारे में कोई गोपनीय एवं महत्वपूर्ण जानकारी जानता तक कैसे पहुंचेगी।
नव ऊर्जा को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है, कथित हमलावर तो महिला सहित थाने पहुंच गये थे..पत्रकार पहुंचे तब तक पुलिस भी संबंधित थाने से जा चुकी थी..
भारत सम्मान के संपादक की गाड़ी थाने में विधिवत खड़ी थी..किसी ने ध्यान तक नहीं दिया..
कार्यवाही करने से बचने के लिए एवं आम अमन पसंदों में भय पैदा करने बदमाशों का आवेदन थाने में पहले ले लिया जाता है, जबकि पीड़ितों से पुलिस द्वारा अपराधी की तरह व्यवहार किया जाता है..
सवाल है कि असमाजिक तत्वों की आवभगत थाने में होती रहेती है। पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है।
यही वह शहर है जहां पहले भी पुलिस की निष्कि्रयता से आक्रोशित जनता ने महामाया चौक पर धरना दिया था..आज शहर में चोरी ..लूट.. एवं गुंडे बदमाश के खौफ का आलम चरम पर है।
पत्रकार कोई भी हो पहरेदार की तरह होता है..उनके साथ यदि ग़लत होता है तो इसका मतलब सीधा निकलता है कि पुलिस प्रशासन पत्रकारों के कलम से ईमानदारी पूर्वक लिखे जाने वाले बातों में रूचि नहीं लिया जाता है, बिना जांच के अपना पल्ला झाड़ लेन पुलिस प्रशासन की आदत सी है, काम इमानदारी से नहीं किये जाने का ऐसे ही अनेकों उदाहरण देखने को मिल रहा है।
परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ में अनेकों स्थानीय पुलिस प्रशासन से जनता का विश्वास भी उठ रही है।
दैनिक नव ऊर्जा के वेबसाइट पर एक नजर डालें तो पाएंगे नौ वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के कार्य से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री, एवं राज्य सरकार के अधीन संचालित समाज के रीढ़ कहे जाने वाले अनेक विभागों में कार्यरत प्रमुख अधिकारी अपने कार्य के प्रति उदासीन है।
उनके प्रमाण व प्रभाव देखा जा सकता है निचे दिए गए करीब 4से5 पेज के इन पेपरों में, जिसका प्रकाशन दैनिक समाचार पत्र नव-ऊर्जा ने अनेकों बार किया है परन्तु सभी विभागों ने अपने दायित्वों की तिलांजलि देकर पत्रकारिता को ही अपमानित किया है।
संपादक, प्रकाशक एवं पत्रकारों के अपमान को बंद किया जाना स्वच्छ पत्रकारिता के लिए अति आवश्यक है।
संपादक- दैनिक नव -ऊर्जा
कोरबा, छत्तीसगढ़