छत्तीसगढ़ की विधवा शिक्षक पत्नियों ने अपनी अनुकम्पा नियुक्ति अधिकार के लिए, सहारे की दान पेटी लेकर सरकार से मांग कर रही है।
रायपुर। (नव-ऊर्जा) पंचायत शिक्षक के रूप में काम करने वाले शिक्षकों की विधवा महिलाएं सड़क पर आ गई हैं। करोना, दूसरी बीमारी और सड़क हादसों में जान गंवा चुके शिक्षकों के घरों में उनके पत्नी एवं बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो सके इसका उन्हें कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रही है। महिलाएं खुद दूसरे के घरों में या गांव के खेतों में मजदूरी करके घर में चूल्हा जला रहीं हैं, अब ये अपने बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं।
पिछले एक पखवाड़े से ऊपर होने को है, धरना स्थल पर ये महिलाएं हाथ में अधिकार हाथ में अधिकार मिलने के जगह, सहारे के लिए दान पेटी के साथ धरना दे रही हैं। मगर अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी या सत्ता – धारी महिलाओं के दुख-सुख के साथी सरकार के थाती ने भी इनकी एक न सुनी है। ये सभी शिक्षकों की विधवाएं अब आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। दान पेटी लेकर धरने पर बैठीं हैं ताकि राह चलते लोगों को ही इन पर दया आ जाए और कोई कुछ मदद कर दे, क्योंकि अपने हक के लिए धरने पर बैठने पर भी अपने पेट पालने के लिए खर्चे की तो जरूरत पड़ ही रही हैं।
इनके बतलाए अनुसार इन महिलाओं ने जिनमें लगभग सभी विधवा महिला हैं, तीन महीने पहले भी धरना दिया था। तब सरकार की तरफ से आश्वासन दी गई थी जिसके बाद इन्होंने आंदोलन को वापस ले लिया था। दरअसल ये सभी महिलाएं मांग कर रही हैं कि इन्हें इनके पति की मौत के बाद अनुकम्पा नियुक्ति दी जाए। इनमें बहुत सी महिलाएं ऐसी भी हैं जिनके पतियों का देहांत साल 2017 में हो चुका है। तीन-चार सालों से महिलाएं संबंधित विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति पर लिए जाने की संभावना तलाशते हुए दानपेटी लिए भटक रही हैं।
अब यह देखना है उन्हें आशा भी है, संभवतः सरकार बेरोजगार महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए निर्धारित नियमों के तहत मामला को संज्ञान में अविलंब लेगी, या महिलाओं की आवाज अनिश्चितता में यूं ही दब जायेगा शासन की कार्यवाही अब भी अधर में लटका हुआ है।