नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने जब पूरी दुनिया में नए सिरे से कोहराम मचाया है तब पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी वैश्विक नेताओं को एकजुट हो कर मानवता के बारे में सोचने की अपील की है। उन्होंने सभी देशों से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी वैश्विक व्यवस्था की सोच में बदलाव करने की बात कही है और यह भी आश्वासन दिया है कि भारत अपनी क्षमता के मुताबिक इस महामारी से लड़ाई में दूसरे देशों को मदद करता रहेगा। पीएम मोदी यहां रायसीना डायलॉग-2021 के शुभारंभ के अवसर पर अपना भाषण दे रहे थे। इस अवसर पर डेनमार्क की पीएम और रवांडा के राष्ट्रपति भी मौजूद थे।
मोदी ने कहा कि पिछले एक वर्ष से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ने में जुटी हुई है। हम इस स्थिति पर इसलिए पहुंचे हैं कि आíथक प्रगति की दौड़ में मानवता की चिंता पीछे छूट गई थी। प्रतिस्पद्र्धा की वजह से सहयोग की भावना को भूला दिया गया है। इसके पीछे उन्होंने पहले और द्वितीय युद्ध की वजह से बनी मानसिकता को बड़ा कारण बताते हुए कहा कि अगले कुछ दशकों से जो भी संस्थान या ढांचे बनाये गये उसके पीछे एक ही सोच थी कि तीसरा युद्ध किस तरह से रोका जाए। यह सवाल गलत था और इसे बदलने की जरुरत है। हमने जो भी कदम उठाये उसे पिछले युद्ध को रोकने के लिए उठाये ना कि भविष्य के युद्ध को रोकने के लिए। मानवता ने तीसरा विश्व युद्ध तो नहीं देखा लेकिन हिंसा कम नहीं हुई। छद्म युद्ध चलते रहे औऱ आतंकी हमले होते रहे। हमारा सही सवाल यह होना चाहिए कि अभी भी भुखमरी व सूखा क्यों है। गरीबी क्यों है। सबसे बड़ी बात हम मानवता के समक्ष सबसे बड़ी त्रासदी में भी सहयोग क्यों नहीं कर पा रहे।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पिछले सात दशकों की सोच व गलतियां हमें भविष्य की सोच को रोक नहीं सकती। कोविड-19 महामारी ने हमारे समक्ष एक अवसर दिया है कि हम अपनी सोच बदल सकें। हमें पूरी मानवता के बारे में सोचना चाहिए ना कि सिर्फ अपनी सीमा में रहने वालों के बारे में। मानवता ही हमारे सोच व कदम के केंद्र में होनी चाहिए।
मोदी ने कहा भी कि,’हमें पता है कि आपूर्ति सीमित है। मांग काफी ज्यादा है। लेकिन हमें यह भी मालूम है कि हमें उम्मीद रखनी चाहिए। उम्मीद की जितनी ज्यादा जरूरत अमीर देशों के नागरिकों को है उतनी है कम भाग्यशाली देशों के नागरिकों को है। हम अपना अनुभव, विशेषज्ञता व स्रोतों को पूरी मानवता के साथ साझा करते रहेंगे।’