दिल्ली। भारतीय सेना (Indian Army) के 600 पैराट्रूपर्स ने इस हफ्ते सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri Corridor) के पास एयरबोर्न इन्सर्शन एंड रैपिड रिस्पांस अभ्यास किया है. यह बीते तीन हफ्ते में चीन (China) के साथ लगने वाली देश की उत्तरी सीमा के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में दूसरा ऐसा अभ्यास है. ये कॉरिडोर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की सीमा से लगी जमीन का हिस्सा है. वहीं सिलीगुड़ी कॉरिडोर को भारत का ‘चिकन नेक’ भी कहते हैं. जो व्यापारिक, भौगोलिक और रणनीतिक रूप से भारत का अहम क्षेत्र है.

एक अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय सेना की एयरबोर्न रैपिड रिसपॉन्स टीम के करीब 600 पैराट्रूपर्स ने विभिन्न एयरबेस से एयरलिफ्ट किए जाने के बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास ऊंचाई से छलांग लगाई.’ इस अभ्यास में एयरड्रॉप करना, निगरानी और टारगेट प्रैक्टिस शामिल थे. भारतीय सेना ने 24 और 25 मार्च को किए गए इस अभ्यास का वीडियो अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा, ‘अभ्यास में सैनिकों को एयरलिफ्ट करना, बड़े पैमाने पर एयरड्रॉप्स, रैपिड रीग्रुपिंग, महत्वपूर्ण लक्ष्यों की निगरानी और उद्देश्यों को हासिल करना शामिल था.’

इसी तरह का अभ्यास मार्च की शुरुआत में महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर में किया गया था. जमीन का यह हिस्सा सैन्य दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है. पिछले अभ्यास के दौरान, भारतीय सेना के एयरबोर्न और विशेष बलों ने अभ्यास में उत्तरी सीमाओं के साथ अपनी एरियल इन्सर्शन क्षमता और तेजी से प्रतिक्रिया देने का पूर्वाभ्यास किया था, जिसमें 20,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई गई थी.