17 जुलाई, रविवार को कर्क संक्रांति पर्व के साथ सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा। इससे हफ्ते भर पहले ही यानी 10 जुलाई को एकादशी पर देवशयन हो गया था। भगवान विष्णु के योग निद्रा में रहने से अब अगले 4 महीनों तक सिर्फ स्नान-दान और पूजा-पाठ का दौर चलेगा। इन दिनों में शादियां, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे। लेकिन हर तरह की खरीदारी की जा सकेगी। जिसके लिए कई शुभ मुहूर्त भी हैं।
कर्क से मकर संक्रांति तक दक्षिणायन
डॉ. मिश्र बताते हैं कि 17 जुलाई को सूर्य के कर्क राशि में आते ही दक्षिणायन शुरू हो जाएगा। जो कि अगले 6 महीने तक रहेगा। फिर अगले साल 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में आने के बाद उत्तरायण काल शुरू हो जाएगा। दक्षिणायन में सूर्य, कर्क से मकर तक 6 राशियों में होकर गुजरता है। इस दौरान पितरों की पूजा और स्नान-दान का बहुत महत्व होता है। दक्षिणायन को देवताओं का मध्याह्न काल भी कहते हैं। इसलिए इस समय में गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
चातुर्मास के चार महीने
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र आषाढ़ (जुलाई) महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दिन से चतुर्मास शुरू हो जाता है। इसके बाद सावन (अगस्त), भाद्रपद (सितंबर), अश्विन (अक्टूबर) और कार्तिक (नवंबर) में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवता जागते हैं और चातुर्मास खत्म हो जाता है।
व्रत और साधना का समय दक्षिणायन
दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहते हैं कि उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना एवं ध्यान का समय रहता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। इस दौरान व्रत रखना, किसी भी प्रकार की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होती हैं। इस दौरान सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।