भारत सरकार कथित तौर पर माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन और अन्य जैसे घरेलू ब्रांडों को बढ़ावा देने के लिए चीन स्थित स्मार्टफोन खिलाड़ियों पर कम-अंत वाले स्मार्टफोन (12,000 रुपये से कम) बेचने पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है।
सोमवार को सामने आए सूत्रों का हवाला देते हुए ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश ‘चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं को अपने लड़खड़ाते घरेलू उद्योग को किक-स्टार्ट करने के लिए 12,000 रुपये (150 डॉलर) से कम कीमत में डिवाइस बेचने से प्रतिबंधित करना चाहता है।’
सरकार इस कदम से चीनी मोबाइल निर्माता कंंपनियों को बाजार से हो सकती हैं बाहर
इस मामले के करीबी लोगों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं को ‘दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल बाजार के निचले हिस्से से बाहर’ कर सकता है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, सरकार की मंशा, अगर सच है, तो शाओमी और रियलमी जैसी कंपनियों को एक बड़ा झटका लगेगा, जिन्होंने भारत में उप- 150 डॉलर (12,000 रुपये और उससे कम) खंड में लगभग 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है।
बढ़ता ही जा रहा हैं चीनी कंपनियों की कीमत वाले मोबाइल फोन का दायरा
शोध निदेशक तरुण पाठक ने एक समाचार एजेंसी को बताया, कुल मिलाकर, 150 डॉलर से कम के स्मार्टफोन ने इस साल जून तिमाही में भारत में कुल स्मार्टफोन वॉल्यूम में 31 फीसदी का योगदान दिया, जबकि 2018 में इसी तिमाही में यह 49 फीसदी था। पाठक ने कहा, चीनी ब्रांड इन वॉल्यूम में 75-80 फीसदी का दबदबा रखते हैं क्योंकि पिछली कुछ तिमाहियों में जियो फोननेक्स्ट में तेजी आई है। इस सेगमेंट में फिलहाल रियलमी और शाओमी का दबदबा है।
दूसरी तिमाही में भारत ने चीनी हैंडसेट पर कब्जा किया
शेन्जेन स्थित ट्रान्शन हॉल्डिंग्स, जिसके पास टेक्ने , इंफिनिक्स और आइटेल जैसे ब्रांड हैं, देश में लो-एंड और किफायती सेगमेंट में एक दुर्जेय खिलाड़ी है। ट्रान्शन ग्रुप ब्रांड्स (आइटेल, इंफिनिक्स और टेक्न ो) ने दूसरी तिमाही में भारत के हैंडसेट बाजार में 12 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया।
भारत में मोबाइल फोन ब्रिकी के मामले चीन आगे
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के मुताबिक, जहां आईटेल ने 6,000 रुपये से कम के स्मार्टफोन सेगमेंट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ नेतृत्व किया, वहीं टेक्नो ने देश में 8,000 रुपये से कम के स्मार्टफोन सेगमेंट में दूसरे स्थान पर कब्जा कर लिया।
भारत ने पहले ही चीनी निर्माताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और हाल ही में ओप्पो, वीवो और शाओमी जैसी चीनी स्मार्टफोन कंपनियों पर छापे इस बात को साबित करते हैं।
सीमा शुल्क विभाग ने वीवो इंडिया को जारी किया था नोटिस
भारत सरकार तीन चीनी मोबाइल कंपनियों- ओप्पो, वीवो इंडिया और शाओमी द्वारा कथित कर चोरी के मामलों की जांच कर रही है।डीआरआई ने वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लगभग 2,217 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क चोरी का पता लगाया।सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2,217 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क की मांग करते हुए वीवो इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अप्रैल 2020 से, चीनी फर्मो से केंद्र सरकार को प्राप्त 382 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्तावों में से, भारत ने 29 जून को केवल 80 को मंजूरी दी।