भारत के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भी बिकवाली का बवंडर हावी हो गया है। यूएस बाजार में ट्रेडिंग के दौरान इंडेक्स- डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 700 अंक या 2.5% से ज्यादा गिरकर 29,500 अंक से नीचे आ गया। यह डाउ जोन्स का 2 साल का निचला स्तर है। वहीं, दूसरे इंडेक्स- एसएंडपी 500 और नैस्डैक कंपोजिट में 2% से ज्यादा की गिरावट आई। यह लगातार चौथा दिन है जब अमेरिकी शेयर बाजार रेंगते नजर आ रहे हैं। इस बिकवाली के माहौल की वजह से मंदी के डर को और अधिक हवा मिल गई है। आपको बता दें कि शुक्रवार को भारतीय बाजार भी पस्त नजर आए थे।
गिरावट की वजह क्या है: दरअसल, निवेशकों के बीच फेडरल रिजर्व के हालिया फैसले और भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की है। वहीं, आगे भी बढ़ोतरी जारी रखने के मजबूत संकेत दिए जा रहे हैं।
क्यों ब्याज दर बढ़ाने पर जोर: फेड रिजर्व का लक्ष्य महंगाई को 2 फीसदी से नीचे रखना है। इसके लिए ब्याज दरों में अग्रेसिव बढ़ोतरी की जा सकती है। फेड रिजर्व के इस फैसले से महंगाई तो कंट्रोल हो सकती है लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट में आने का डर बढ़ गया है। अगर मंदी आती है तो स्टॉक मार्केट क्रैश होंगे, जीडीपी में सिकुड़न आएगी और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ सकती है।
अर्थशास्त्री की रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन: अमेरिकी बाजार में गिरावट की एक वजह अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी के ताजा बयान को बताया जा रहा है। दरअसल, अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने कहा है कि अमेरिका समेत दुनिया भर में मंदी का सबसे लंबा और बुरा दौर आने वाला है। रूबिनी ने अमेरिकी शेयर बाजार के अहम सूचकांक- स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 500 (S&P 500) में 30 से 40% तक गिरावट की आशंका जता रहे हैं।
आपको बता दें कि नूरील रूबिनी ने साल 2008 के आर्थिक संकट की सही भविष्यवाणी की थी। इस मंदी के बाद दुनिया भर के शेयर बाजार क्रैश हो गए थे और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने लगी थीं।
शुक्रवार को सेंसेक्स-निफ्टी: तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,020.80 अंक यानी 1.73 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,098.92 अंक पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 302.45 अंक यानी 1.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,327.35 अंक पर ठहरा।