अपने ही संविधान को निर्लज्ज करते उनके बहुपन्ने, तीनों आयोग के एक विषय पर द्विभाषी पटकथा के पन्ने ;

जिला आयोग कोरबा, छत्तीसगढ़ राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने
एक प्रकरण में कभी हां – कभी ना में उपभोक्ता मामले के संविधान को यूं ही कठपुतली व खिलौना बना दिया।

आर पी/1352/2015 के मामले में तथ्यों को उजागर करने के बजाए 27.07.18 में खारिज हो जाने का दावा करते हुए राज्य आयोग द्वारा पारित 07.02.2015 के जारी फैसला कथन का प्रमाण देऩे से बचते रहे।

जिला फोरम कोरबा का एक और शानदार प्रदर्शन 30 दिनों में अनावेदक कंपनी से जवाब प्रस्तुत करने का दिखावा करते हुए नोटिस जारी किया पर नीचे उल्लेखनीय है।