नई दिल्ली। पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से परेशान है, जहां रोजाना तीन लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि मई के बीच में ये आंकड़ा 5 लाख रोजाना के करीब पहुंच सकता है। इसके बाद जून-जुलाई में इसके कम होने की संभावना है, लेकिन एक सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या भारी आबादी वाले राज्य नई चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी, तो उसमें NITI आयोग के सदस्य डॉ. वी. के पॉल ने कई प्रमुख मुद्दों को लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया था। जिसमें ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कई बातें कही गईं। इसमें वैक्सीनेशन और ऑक्सीजन की सप्लाई का भी मुद्दा उठा। बाद में ये निष्कर्ष निकला कि भारत इस बार भी कोरोना से मजबूती से लड़ेगा और जीतेगा। फिर भी प्रेजेंटेशन का एक बड़ा हिस्सा संकट की सीमा का विवरण देता है, जिसमें 30 अप्रैल तक अनुमानित मामलों के ज्यादा होने और महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी शामिल है।

सूत्रों के मुताबिक पॉल ने उन 10 राज्यों के स्वास्थ्य ढांचे में अंतराल दिखाया, जहां पर सबसे ज्यादा मामले हैं। इसमें महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की बात की गई। अभी के अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली में इस महीने के अंत तक मामलों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अप्रैल के अंत में यूपी में रोजाना 1,19,604 मामले सामने आएंगे, जो 15 अप्रैल की अपेक्षा पांच गुना ज्यादा हैं। वहीं दिल्ली में रोजाना पॉजिटिव केस 67134 तक जा सकते हैं।