संविधान विशेष: नीचे जरूर पढ़ें, आपके अधिकारों की हैसियत,
खतरे में भारतीय संसद द्वारा- स्थापित कानून
24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1986 में भारत में संसद ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया था. इस अधिनियम के मुताबिक, जो व्यक्ति अपने इस्तेमाल के लिए कोई सामान या सेवा खरीदता है, वह उपभोक्ता है. विक्रेता की अनुमति से सामान या सेवा का इस्तेमाल करने वाला भी उपभोक्ता माना जाता है.
एक व्यक्ति के द्वारा पेश एक ही सेवा प्रदान करने वाले कार्यपालन यंत्री के विरुद्ध 5 मूल मामले दर्ज,
4 मूल मामले में –
पहले मामले दिनांक 03.12.2013
5 बार निरस्त कोरबा से दिल्ली तक मूल मामले के आवेदन, शपथपत्र व अन्य सभी साक्ष्य दस्तावेज पेश एवं स्पष्ट रूप से सेवा में कमी प्रदर्शित है
परन्तु निहत्थे और निकम्मे न्याय ने भारतीय संविधान को खतरे में डाल दिया है।
निकम्मी न्याय क्या है
निकम्मी न्याय की परिभाषा जाने।?
जो न्याय प्रस्तुत शिकायत/परिवाद पत्र में लिखा गया प्रसंग के विपरित व्याख्या के साथ न्याय निर्धारित होते हैं। उसे निकम्मी न्याय और अंधे जजों के द्वारा पारित आदेश कहते हैं।
कोरबा जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष छबिलाल पटेल और सदस्य राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय एवं अंजू गभेल तब के 11.11.13 में न्याय करने वाले अंधे जज रहे।
जो केवल और मात्र कलम की अंधी लाठी के सहारे तत्कालीन 14/2 के नारायण प्रसाद बनाम कार्यपालन यंत्री कोरबा विद्युत वितरण कंपनी के मामले की एक अजब न्याय की गजब कहानी है। जिसका फैसला 16 जजों से गुजर चुके और 1 दर्जन उन जजों के प्रिय विरोधी वकीलों ने जिरह कर चुके। फैसले में उनके ही पक्षकार कार्यपालन यंत्री कोरबा के पक्ष में 5 बार उक्त 1 प्रकरण में फैसला हुए हैं। और उस फैसले के बाद भी विरोधी कंपनी द्वारा इस परिवाद प्रस्तुत कर्ता नारायण के परिसर के बिजली कटौती पर जो कारण विरोधी पक्ष कार्यपालन यंत्री द्वारा बताए जा रहे थे। बिजली चोरी व बिल बाकी वह प्रारंभ से खोखले एवं बकवास रहे हैं। 1100 सबूत के पन्ने जजों ने देखा है। उनके अनुसार
नारायण प्रसाद केशरवानी कोरबा के पेश मामले में दिनांक 11.11.13 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बने कानून भारत देश की सरकार के संसद द्वारा स्थापित लोकसेवा एवं सुरक्षा के लिए न होकर भारत के केंद्र और राज्य सरकार और उनके सरकारी बेईमानों की सुरक्षा के लिए बनाया गया मौजूदा कानून दिख रही है।
दिनांक 24 दिसम्बर को 38 वें इस उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम हेतु।
संसदीय कार्य और कार्यवाही के लिए पेश स्थापना दिवस समारोह में शामिल करने यह लेख को भारतीय जनता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जन हित में नारायण प्रसाद केशरवानी द्वारा जारी किया गया है।
जो प्रमाणित और अवैतनिक संस्था के समाचार पत्र पंचशील कौशल दर्पण में उपभोक्ता संरक्षण कानून (अधिनियम) क्या है ? की स्वयंसेवी सेवी संस्था के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित व्याख्या करते हुए पेश, इस देश की कानून व्यवस्था को 1 सूचना पत्र के रूप में प्रकट किया।
प्रदेश अध्यक्ष
पंचशील कौशल सेवा संस्थान, कोरबा (छत्तीसगढ़) पिनकोड 495677 एवं मोबाईल नं.
7987940161 एवं ईमेल newsdesk411@gmail.com एवं panchsheelkss@gmail.com के माध्यम से एक साथ समाचार पत्र नव ऊर्जा दैनिक और पंचशील कौशल दर्पण पर जैकेट पेज पर से भी आप देख और सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
साथ ही नव ऊर्जा दैनिक समाचार पत्र के वेबसाईट पोस्ट मुख्यपृष्ठ में उपभोक्ता कानून निकम्मी और खतरे में उपभोक्ता संरक्षण
आवश्यक सामग्री के लिए जारी
साक्ष्य के रूप में मात्र 1 पेज में स्पष्ट लिखा गया दिनांक 31.07.2023 के जिला कोरबा के कार्यपालन यंत्री (सतर्कता) विद्युत वितरण कंपनी नगर (संभाग) कोरबा, छत्तीसगढ़ के पत्र क्रमांक व्हीआईपी (मुख्य मंत्री) को स्वर्गीय श्रीमती सुनन्दा देवी द्वारा प्रेषित शिकायत पर सरकारी सूत्रों से ही प्राप्त उनके कार्यकाल में दर्ज है।
सुनंदा देवी की मौत का कारण इस देश के संबंधित ये उपभोक्ता कानून, उपभोक्ता संरक्षण संविधान 1986 पर हमारी विश्वास अभी भी है, पूर्व से रही है। भारतीय सरकार इस न्यायालय के अप्राकृतिक न्याय पर लगाम लगावें। और उपभोक्ताओं के लिए एक मात्र कानून को इस 38 वें उपभोक्ता संरक्षण दिवस समारोह में पूरी तरह सुरक्षित करने संकल्प लें।
जागरूकता उपभोक्ता संरक्षण पर एक नजर निकम्मी न्याय व्यवस्था।
नारायण प्रसाद केशरवानी, कोरबा