नई दिल्ली 9 मई 2021। भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी और कोच एमके कौशिक का तीन सप्ताह तक कोरोना वायरस से जूझने के बाद शनिवार को निधन हो गया. वो 66 साल के थे. उनके परिवार में पत्नी और बेटे हैं. दुख की बात ये है कि एक ही दिन ही उनके साथी खिलाड़ी रविंदर पाल सिंह का भी निधन हुआ है.
कोरोना से पीड़ित थे कौशिक
मास्को ओलंपिक 1980 में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य एमके कौशिक 17 अप्रैल को कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे और उन्हें यहां एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था.
बतौर कोच बेहद कामयाब थे कौशिक
उनके बेटे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘उन्हें आज सुबह वेंटीलेटर पर रखा गया लेकिन अभी उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली.’ कौशिक ने भारत की सीनियर पुरुष और महिला टीमों को कोचिंग दी थी. उनके कोच रहते हुए भारतीय पुरुष टीम ने बैंकॉक एशियन गेम्स 1998 में गोल्ड मेडल जीता था.
कई अवॉर्ड से सम्मानित हुए कौशिक
एमके कौशिक के कोच रहते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम ने दोहा एशियन खेल 2006 में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. उन्हें 1998 में अर्जुन अवॉर्ड और 2002 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
रविंदर पाल सिंह भी हारे कोरोना के खिलाफ जंग
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सदस्य और मॉस्को ओलंपिक 1980 के स्वर्ण पदक विजेता रविंदर पाल सिंह ने करीब 2 हफ्ते तक कोरोना वायरस संक्रमण से जूझने के बाद शनिवार की सुबह लखनऊ में अंतिम सांस ली. वह 65 वर्ष के थे.
कोरोना नेगेटिव आने के बाद बिगड़ी तबीयत
रविंदर पाल सिंह को 24 अप्रैल को विवेकानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वह कोरोना संक्रमण से उबर चुके थे और टेस्ट नेगेटिव आने के बाद कोरोना वॉर्ड से बाहर थे. शुक्रवार को उनकी हालत अचानक बिगड़ी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा.
स्टेट बैंक में की थी नौकरी
लॉस एंजिलिस ओलंपिक 1984 खेल चुके रविंदर पाल सिंह ने शादी नहीं की थी. उनकी एक भतीजी प्रज्ञा यादव है. वो 1979 जूनियर वर्ल्ड कप भी खेले थे और हॉकी छोड़ने के बाद स्टेट बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.
वर्ल्ड कप भी खेल चुके हैं रविंदर
गौरतलब है कि सीतापुर में जन्में सेंटर हाफ सिंह ने 1979 से 1984 के बीच शानदार प्रदर्शन किया. दो ओलंपिक के अलावा वह 1980 और 1983 में चैम्पियंस ट्रॉफी, 1982 वर्ल्ड कप और 1982 एशिया कप भी खेले.