गुणवत्ताहीन सीमेंट से नींव स्तर तक कराया काम, खुलासा हुआ तो कार्यवाही/ब्लैक लिस्ट/रिकव्हरी से बचाने बदल रहे सीमेंट
कोरबा-कटघोरा। वन विभाग में काम करने वाले कुछ ठेकेदार जंगल में मोर नाचा किसने देखा…? की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। भ्रष्टाचार का मोर जंगलों में हो रहे निर्माण कार्य स्थलों पर झूमकर नाच रहा है और दफ्तर में बैठे-बैठे ही जिम्मेदार अधिकारी इसे देख रहे हैं। जागती आंखों से भ्रष्ट कार्यों को बढ़ावा देने का एक और मामला हमने सामने लाया किंतु कार्यवाही तो दूर ठेकेदार और अपनी साख बचाने की कवायद में जुट गए।
बता दें कि कटघोरा वनमंडल के सभी 8 रेंजों में नालों पर स्टाप डेम, रेंज ऑफिसर आवास आदि का निर्माण वानिकी कार्य के तहत हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इन सभी निर्माण कार्यों के लिए सीमेंट की आपूर्ति का ठेका बिलासपुर के ठेकेदार को मिला है जिसके द्वारा टेंडर में स्वीकृत कराए गए अल्ट्राटेक सीमेंट की बजाय मिलते-जुलते नाम के हाईटेक सीमेंट की आपूर्ति पूरे कटघोरा वन अनुविभाग में की गई है। 15 से 20 हजार बोरी सीमेंट की उसने आपूर्ति हाल ही में की है। निर्माण कार्यों की मजबूती के लिए 53 ग्रेड सीमेंट लाफार्ज, अल्ट्राटेक, एसीसी, सेन्चुरी गोल्ड, डालमिया और डबल बुल का ही उपयोग होता है जबकि बिलासपुर के इस ठेकेदार ने अल्ट्राटेक सीमेंट आपूर्ति का ठेका प्राप्त कर 32 ग्रेड हाई-टेक सीमेंट की आपूर्ति शुरू की जो गुणवत्ता में काफी कमजोर है।
यह मामला जब उजागर हुआ तो दूसरे ही दिन आनन-फानन में रेंजरों को सूचना देकर हाई-टेक के सीमेंट निर्माण स्थलों से हटवाए गए। रेंजरों के बीच से ही खबर है कि हाई-टेक की 400 से 500 बोरियां भिजवाई गई थी जिनमें से 40-50 बोरियां नींव स्तर के कार्य में खपत हो गई। शेष बोरियों को लौटाकर बिरला गोल्ड व अल्ट्राटेक सीमेंट भिजवाया जाने लगा है। एक रेंजर ने इसकी पुष्टि करते हुए डरे-सहमे लहजे में यहां तक कह दिया कि बात लीक होने पर वनमंडलाधिकारी नोटिस और पेशी करा देती हैं।
प्रतिबंधित अवधि में हरे-भरे बांस के 500 से अधिक वृक्ष कटवा देने वाले रेंजर मृत्युंजय शर्मा तो इस तरह का कोई मामला होना ही नहीं बताते और कहते हैं कि कहां-कहां से खबर मिल जाती है? अब भला भ्रष्ट आचरणों से घिरे व अपने ही बीट गार्ड की ईमानदारी का शिकार हुए रेंजर से सही जानकारी की अपेक्षा कर भी कैसे सकते हैं? हालांकि बातों ही बातों में उन्होंने बिरला गोल्ड व अल्ट्राटेक सीमेंट की आपूर्ति होना बताया।
इधर दूसरी ओर टेंडर मिलने के बाद सीधे सरकारी राशि का दुरूपयोग करते हुए अन्य कंपनी का गुणवत्ताहीन सीमेंट की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार के विरूद्ध टेंडर निरस्ती, ब्लैक लिस्टेड करने अथवा रिकव्हरी जैसी कोई कार्यवाही की बजाय वन अधिकारी पूरा संरक्षण देकर हाई-टेक का उठाव करा कर इसकी जगह बिरला गोल्ड सीमेंट निर्माण स्थलों पर डंप कराने में जुटे हैं। यदि मामला उजागर न होता तो सांठ-गांठ जारी रहती। यहां यह उल्लेखनीय है कि स्टाप डेम, रेंज ऑफिस सह आवास निर्माण के नींव स्तर के कार्यों में हाई-टेक सीमेंट का उपयोग किया जा चुका है जो कि टेंडर में शामिल रहता ही नहीं। नींव स्तर का कार्य हल्के सीमेंट से कराने और इसके बाद के कार्य गुणवत्तायुक्त सीमेंट से कराए जाने पर कार्य के टिकाऊपन का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
कटघोरा के सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरण प्रेमी नवीन गोयल ने घटिया सीमेंट की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार का टेंडर निरस्त कर उसे ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही शासन से ली गई राशि की वसूली की मांग रखी है।
जनप्रतिनिधियों को नहीं दिखता भ्रष्टाचार
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को जंगलों में हो रहा यह भ्रष्टाचार सीधे तौर पर तो नजर नहीं आता किंतु संज्ञान में लाने के बाद भी उदासीन रवैय्या अपनाने का पूरा फायदा अधिकारी व ठेकेदार उठा रहे हैं। विगत महिनों में वन अधिकारी की कार्यशैली को लेकर खूब शोर मचा किंतु जनप्रतिनिधियों ने इसे हल्के में लिया जिसका खामियाजा शासन की खराब होती छवि के रूप में कहीं न कहीं सामने आ रहा है। यह बात और है कि एक ओर जनप्रतिनिधि अधिकारी की लंबी-चौड़ी शिकायत करते हैं और दूसरे ही दिन शिकायत से अपना वास्ता किनारे कर तारीफ में कसीदे भी गढ़ देते हैं तो अधिकारी क्यों न अपने भ्रष्ट आचरण को बढ़ाएंगे।