पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें महंगाई की आग में घी का काम कर रही
रायपुर। प्रदेश की तीन वामपंथी पार्टियों ने बढ़ती महंगाई के खिलाफ और कोविड राहत की मांगों को लेकर 26 जून को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला लिया है. इस दिन किसान विरोधी कानूनों और चार श्रम संहिताओं के खिलाफ तथा सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने की मांग को लेकर मजदूर-किसानों के देशव्यापी आंदोलन के साथ एकजुटता भी प्रकट की जाएगी.
वामपंथी नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी ने लोगों की रोजी-रोटी और जिंदगी को तबाह कर दिया है. मांग के अभाव में अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में चली गई है. इस स्थिति से उबरने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद मदद की जरूरत है. मोदी सरकार न केवल इससे इंकार कर रही है, बल्कि इस महामारी का शिकार हुए परिवारों को केंद्रीय आपदा प्रबंधन कानून के अनुसार चार लाख रुपयों की मदद से भी इंकार कर रही है, जिस पर मात्र 1600 करोड़ रुपये ही खर्च होना है. उन्होंने कहा कि लोग कोरोना से कम, स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली से ज्यादा मरे हैं और इन मौतों की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेना चाहिए.
गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने और कालाबाज़ारी व जमाखोरी पर रोक लगाने, प्रति व्यक्ति 10 किलो खाद्यान्न सहित सभी गरीब परिवारों को मुफ्त राशन किट देने, आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को प्रति माह 7500 रुपयों की नगद मदद देने और कोरोना मौत से प्रभावित हर परिवार को आपदा प्रबंधन कानून के अनुसार चार लाख रुपयों की मदद करने आदि मांगों पर वामपंथी पार्टियों द्वारा देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे हैं. वाम नेताओं ने बताया कि ये प्रदर्शन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूरे प्रदेश में आयोजित किये जायेंगे.