०: मदिरा से नहीं लोगों का उपकार:०
छत्तीसगढ़ सरकार से मान्यता प्राप्त,
“पंचशील कौशल सेवा संस्थान”
लोकहित में -:
बन्द करें सरकार हमारी ,
मदिरा का व्यापार ।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।
गाँजा-अफीम – तम्बाखू हैं ,
पहुँचाते नुकसान ,
भाँग-चरस-सीजर सारे हैं ,
बीड़ी रोग खदान ।
गुटखा-पाउच-सुरती-खैनी ,
दिये रोग भरमार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।१।।
तन – मन सारे निर्बल होते ,
व्याधि घेरते घोर ,
इनका सेवन करने से है ,
देश बने कमजोर ।
राजस्व वसूले – खाने से ,
बढ़ता भ्रष्टाचार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।२।।
गलत कमाई का है खाना ,
खाये बिगड़े चेत ,
बने अन्न सा मन-विचार है ,
निश्चय ही समवेत ।
बिगड़े नशा ग्रहण करने से ,
मर्यादा – संस्कार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।३।।
कामचोर निश्चय बन जाता ,
मदिरा सेवी वीर ,
समय काम के घट जाते हैं ,
आलस बढ़े शरीर ।
मदिरा सेवन करके कोई ,
पाते न रोजगार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।४।।
विक्रय करनेवाले का भी ,
बढ़े नहीं सौभाग्य ,
प्रत्येक नशा हानि प्रदाता ,
सेवन है दुर्भाग्य ।
जागृति लाके करना होगा ,
नशा का बहिष्कार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।५।।
विनय करूँ नेताओं को मैं ,
जोड़ूँ दोनों हाथ ,
नशा मुक्त है देश बनायें ,
रख बापू की बात ।
कहना मानो ‘ठाकुर’ का है ,
केन्द्र-राज्य सरकार ।।
होता नहीं कभी मदिरा से ,
लोगों का उपकार ।।६।।
कवि -: -जगतसिंह ठाकुर ‘बंजारीवाले’
सौजन्य- पंचशील कौशल सेवा संस्थान