टॉमी भैया मुंह लटकाए
आए घर के अंदर,
‘पीठ दर्द कुछ ठीक हुआ क्या?’
बोला छोटू बंदर।
आह, ऊह कर टॉमी बोले-
‘बुरा हाल है मेरा’,
ट्यूब लगाई, करी सिंकाई
फिर भी दर्द घनेरा।
मौज-मटरगस्ती करने में
सारा समय गंवाया,
माता-पिता ने समझाया था,
पर मैं समझ न पाया।
काश! कि मैं श्रमपूर्वक पढ़ता
तो डॉक्टर कहलाता,
भारी फीस न देनी पड़ती,