बिलासपुर।

जिले में पहली बार एक ही मरीज को दो बार ब्लैक फंगस हुआ और दोनों बार ऑपरेशन करना पड़ा। सिम्स में बुधवार को दूसरी बार हुए ऑपरेशन में आठ दांत और राइट साइड का ऊपरी जबड़ा निकाल दिया गया। गौरेला-पेंड्रा जिले की रहने वाली 35 वर्षीय महिला 22 अप्रैल को कोरोना की चपेट में आईं। 14 दिन संक्रमण से लड़ी और स्वस्थ हो गईं। कुछ दिन बाद महिला को नाक में दर्द होना शुरू हुआ।

दर्द जब बढ़ने लगा तो महिला ने सिम्स के डॉक्टरों को दिखाया। यहां जांच में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस की पुष्टि होने के बाद 17 मई को वे भर्ती हो गईं। 19 मई को महिला का ऑपरेशन किया गया और नाक में फैल चुके फंगस को निकाला गया। 12 दिन तक सिम्स में इलाज के बाद महिला 28 मई को पूरी तरह ठीक होकर चली गईं। लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दांतों में दर्द शुरू हुआ। खाना-खाने में परेशानी होने लगी।

तब तकलीफ बढ़ती गई तो परिजन महिला को लेकर सिम्स आए। यहां डॉक्टरों ने कई तरह की जांच और सीटी स्कैन किया तो फिर से ब्लैक फंगस होना बताया। लेकिन इस बार दांतों और ऊपरी जबड़े में इंफेक्शन फैल चुका था। बुधवार को पांच डॉक्टरों की टीम ने तीन घंटे तक चले ऑपरेशन में महिला के राइट साइड का ऊपरी जबड़ा, तालू और आठ दांत निकाले। ऑपरेशन के बाद महिला की हालत पहले से थोड़ी ठीक है। अभी उन्हें सिम्स में डॉक्टरों निगरानी में ही रखा गया है।

चार से छह महीने बाद लगाए जाएंगे आर्टिफिशियल दांत
दंत रोग विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश का कहना है कि महिला की हालत धीरे-धीरे ठीक होगी। अभी वे कुछ खा नहीं सकतीं इसलिए तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं। कोरोना के कारण ही उन्हें ब्लैक फंगस हुआ। पहले फंगस नाक में था फिर धीरे-धीरे दांतों तक पहुंच गया। समय पर ऑपरेशन हो गया तो उनकी जान बच गई। उन्होंने बताया कि कुछ दिन महिला सेमीफाइलेट डाइट पर चलेंगी। बीमारी से पूरी तरह ठीक हो जाएं ताकि फिर न परेशानी हो। इसलिए चार से छह महीने बाद ही उन्हें आर्टिफिशियल दांत लगाए जाएंगे।

उनका कहना है कि होम आइसोलेशन में रहे मरीजों को भी यह बीमारी हो रही है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को ये विशेष रूप से ध्यान देना है कि वे स्ट्राइड खाएं हो या न खाएं हो लेकिन अगर चेहरे में सूजन, आंखों में लालिमा या सूजन, सिरदर्द, दांतों में दर्द या दांत हिलने पर तुरंत चिकित्सक को संपर्क कर जांच कराएं। अगर ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण में ही इलाज कर दिया जाये तो मरीज को इस जान लेवा बीमारी से बचाया जा सकता है।

ब्लैक फंगस मरीजों के ऑपरेशन में जुटे हैं ये डॉक्टर
दंत रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश के साथ डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. केतकी कीनीकर, डॉ. हेमलता राजमणि, डॉ. सोनल पटेल। नाक, कान एवं गला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. आरती पांडेेय, डॉ. विद्या भूषण, डॉ. श्वेता मित्तल और निश्चेतना विभाग के डॉ. भावना रायजादा की टीम लगातार ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का ऑपरेशन कर रही है।

एक्सीडेंट से घायल मरीज के चेहरे को स्क्रू और प्लेट लगाकर विकृत होने से बचाया : गुरुवार को सिम्स में एक्सीडेंट से घायल मरीज का भी सफल ऑपरेशन किया गया। मरीज के चेहरे की सभी हड्डियां टूट चुकी थीं। डॉक्टरों ने प्लेट और स्क्रू की मदद से ऑपरेशन कर उसके चेहरे को विकृत होने से बचाया और नया जीवन दिया। बांसाझाल के रहने वाला युवक बाइक से जा रहा था। सामने से आ रही बाइक से एक्सीडेंट हो गया। पहले घायल का इलाज रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चला। हालत गंभीर थी इसलिए मरीज को सिम्स रेफर किया गया।