दूसरे प्रदेशों से बड़ी संख्या में बिहार वापस लौट रहे कामगार

पटना | कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बेरोजगार होकर अपने गांव लौटे कामगारों के समक्ष अब एक नई समस्या आ रही है। दूसरे राज्यों में अपने काम पर लौटने पर उनसे कोरोना टीके का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। जिन्होंने टीके के दोनों डोज नहीं लिये हैं, उन्हें नियोक्ता लौटा रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि पहले टीके लगवाओ, फिर काम कराऊंगा। इस कारण दूसरे प्रदेशों से बड़ी संख्या में राज्य के कामगारों लौटना पड़ रहा है। इस तरह अब रोजगार और नौकरी के लिए भी कोरोना का टीका अनिवार्य हो गया है।

बेगूसराय के तेघड़ा प्रखंड के गौड़ा-दो, पकठौल, धनकौल, पिपरादोदराज, चिल्हाय आदि पंचायतों में इस तरह के कई कामगार लौटे हैं। यहां के 18 से 44 आयुवर्ग के सैकड़ों लोग देश के विभिन्न हिस्सों में रोजगार के लिए गए थे। इनमें से जिनके पास कोरोना टीका का प्रमाणपत्र था, उन्हें रोजगार मिला और अन्य को वापस कर दिया गया।

पिपरादोदराज पंचायत के पिपरा गांव के बबलू पासवान व निहोरा पासवान समेत कई मजदूरों ने यहां लौटकर अपनी आपबीती बतायी। चिल्हाय पंचायत के दुखित पासवान व धनकौल गांव के अब्दुल वारी के साथ भी यही हुआ। हालांकि, वहां के डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि टीकाकरण कार्य चल रहा है जिसमें और तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है।

राज्य में अनलॉक शुरू होने के बाद बिहारशरीफ के विभिन्न इलाकों से करीब 22 हजार लोगों ने रोजी-रोटी के लिए दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा, कोलकाता जैसे शहरों का रुख किया था। इनमें से करीब डेढ़ हजार को अपने गांव विवश होकर लौटना पड़ा, जिनके पास टीका का प्रमाणपत्र नहीं था। ठेला फूटपाथ वेंडर्स यूनियन के जिला सचिव रामदेव चौधरी ने बताया कि सैकड़ों प्रवासियों को टीका नहीं लगवाने के कारण लौटना पड़ रहा है।

सदर प्रखंड के सिपाह गांव निवासी दिलीप कुमार मुंबई की मल्टीनेशनल कंपनी में गार्ड का काम करते थे। वे टीका का एक डोज लेने के बाद मुंबई अपने काम पर गये तो उनसे दोनों डोज लिये जाने का प्रमाणपत्र कंपनी ने मांगा। दोनों डोज नहीं लेने के कारण उन्हें वहां काम नहीं मिला। बिहारशरीफ के अरुण कुमार दिल्ली की निजी कंपनी में बतौर टेलरिंग का काम करते थे, उन्हें भी टीका नहीं लिये जाने कारण लौटना पड़ा।