हाथी प्रभावित अधिकतर ग्रामीण बचाव की जानकारी से रह गए वंचित
कोरबा/कटघोरा(पसान):-अधिकारियों के भ्रष्ट्र कार्यशैली एवं कारनामे को लेकर प्रदेश भर में खासा चर्चित वनमंडल कटघोरा के अंतर्गत आने वाले पसान वन परिक्षेत्र के ग्राम खोडरी पंचायत भवन में वन विभाग के द्वारा बीते 28 जुलाई को जंगली हाथियों से बचाव एवं उनको नुकसान रहित खदेड़ने के विषय पर अम्बिकापुर से बुलाए गए प्रशिक्षक के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे अधिकारियों- कर्मचारियों द्वारा गिनती भर ग्रामीणों के साथ मिलकर उक्त कार्यशाला आयोजन की इश्रीति कर ली गई।
ज्ञात हो कि कटघोरा वनमंडल के पसान परिक्षेत्र में हाथियों का झुंड महीनों से विचरण कर रहा है जहां बेकाबू दंतैल हाथियों के द्वारा आए दिन ग्रामीणों के खेत व बाड़ी मे लगे धान के फसल को नुकसान पहुँचाने के अलावा मकानो को भी क्षतिग्रस्त किया जा रहा है, साथ ही घरों में रखे धान- चांवल को भी चट कर दिया जा रहा है। जिससे इस क्षेत्र के ग्रामीण काफी दहशतजदा है और हाथियों से जान- माल की सुरक्षा को लेकर चिंतित भी है। कटघोरा वनमंडल में जंगलराज चलाने वाले अधिकारी तो हाथियों के आतंक पर रोक लगा पाने में नाकाम साबित होते आ रहे है किंतु हाथी से बचाव और उन्हें नुकसान रहित खदेड़ने के जन- जागरूकता जैसे कार्यक्रम में भी गिनती के ग्रामीणों के साथ कार्यशाला आयोजित कर और उक्त आयोजन की इश्रीति कर ली गई।जिसमे बीते बुधवार 28 जुलाई को पसान वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम खोडरी स्थित पंचायत भवन में हाथी एवं मानव द्वंद पर आधारित परिक्षेत्र स्तरीय कार्यशाला का आयोजन अंबिकापुर से बुलाए गए प्रशिक्षक के माध्यम से किया गया जिसमे प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को हाथियों के विभिन्न प्रजातियों से लेकर उनके उग्र होने की वजह और उनसे बचाव व उन्हें रहवासी इलाके से नुकसान रहित दूर खदेड़ने के विषय पर कार्यशाला के माध्यम से आवश्यक एवं विस्तृत जानकारी से अवगत कराकर लाभ पहुँचाया जाना था किंतु विभाग द्वारा औपचारिकता के तौर पर गिने- चुने ग्रामीणों को शामिल कर और अधिकांश विभागीय अधिकारी- कर्मचारियों एवं वन समिति द्वारा मिलकर हाथी- मानव द्वंद पर आधारित कार्यशाला का लाभ लेते हुए उक्त आयोजन की इश्रीति कर ली गई। जबकि हाथी प्रभावित पसान क्षेत्र के जिन ग्रामीणों को इस कार्यशाला में उपस्थित होकर लाभ मिलना था वो अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण इससे वंचित रह गए। अपने मनमाने आचरण से कटघोरा वनमंडल के कार्यों पर बट्टा लगाने वाले अधिकारी तो हाथियों के उत्पात पर रोक नही लगा पा रहे है तो कम से कम हाथी प्रभावित ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को तो आयोजित उक्त कार्यशाला में शामिल कर बचाव के तरीके की जानकारी से अवगत करा सकते थे ताकि वे हाथियों से अपने जान- माल की हिफाजत कर सके लेकिन निष्क्रिय अधिकारियों के बूते यह भी नही हो सका। दुर्भाग्य है कि कटघोरा वनमंडल का कमान ही नेतृत्वहीन अधिकारी के हाथों सौंप दिया गया है।