नई दिल्ली। पिछले एक दशक में अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों के साथ सैन्य संबंधों से देश की सुरक्षा को मजबूती मिली है। फ्रांस से छह राफेल विमानों की खेप भारत आने से भारतीय वायु सेना मजबूत हुई है। भारतीय वायु सेना अगले साल जनवरी से राफेल की फ्लीट को अपग्रेड करने जा रही है। भारत की जरूरतों के अनुरूप किए जा रहे इस अपग्रेड से वायु सेना और ताकतवर होगी। भारत की तरफ से राफेल में हाईली कैपेबल मिसाइल, लो बैंड जैमर और सैटेलाइट कम्युनिकेशन की मांग की गई है। आखिर क्या है इस राफेल युद्धक विमान की खूबियां। इस युद्धक विमान से क्यों चिंतित है चीन और पाक।
राफेल युद्धक विमान की बड़ी खूबियां
- राफेल लड़ाकू विमानों चीनी विमान जे-20 की तुलना में अधिक ईंधन और हथियार लेकर जाने में सक्षम है। इसे अलग-अलग मारक क्षमता वाले 14 हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल विमान मैक 4 की टाप गति से उड़ान भरने में सक्षम है। गति के मामले में यह विमान पाकिस्तान के पास अमेरिकी विमान एफ-16 को भी मात देता है।
- राफेल को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है। 45 जेनरेशन वाले राफेल जेट ध्वनि की दोगुना रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। इनकी हाई स्पीड 18 मैक है। ये विमान इलेक्टानिक युद्ध, एयर डिफेंस, ग्राउंड सपोर्ट और बड़े हमले करने में सक्षम है।
- विमान को स्कैल्प क्रूज मिसाइल, मिका हथियार प्रणाली जैसे खतरनाक अस्त्रों से लैस किया गया है। भारतीय वायु सेना राफेल का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली हैमर भी खरीद रही है। हैमर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है। इसका निशाना सटीक और अचूक है। इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरान ने विकसित किया है।
- इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना की जरूरता के मुताबिक डिजाइन किया गया है। मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्याधुनिक संस्करण है। इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक
राफेल लड़ाकू विमानों को दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। पांच विमानों का यह बेड़ा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला वायुस्टेशन में उतरा था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी। करीब 24 वर्ष पहले रूस से सुखाई विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी थी। सितंबर, 2020 में भारत में पिछले करीब दो दशक से बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों की पहली खेप राफेल लड़ाकू विमानों के रूप में मिली थी।
लड़ाकू विमानों की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची
राफेल की पहली स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला वायु सेना स्टेशन पर तैनात है। पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची थी। इससे लगभग चार साल पहले भारत ने करीब 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था। वर्तमान में वायु सेना के पास लगभग 25 राफेल विमान हैं और शेष विमान 2022 तक आने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और उत्तरी सीमा की निगरानी करेगी। दूसरी स्क्वाड्रन भारत के पूर्वी सीमा क्षेत्र की निगरानी करेगी।
चीन और पाकिस्तान में खलबली
राफेल लड़ाकू विमान का नाम सुनकर चीन और पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। राफेल की काट के लिए चीन और पाकिस्तान के पास कोई विकल्प नहीं है। इसके मुकाबले चीन के जे-20 चेंगदू को पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। हालांकि, चीन के जे-20 लड़ाकू विमान का कोई युद्ध का अनुभव नहीं है। उधर, राफेल विमान कई मिशनों पर सफल प्रदर्शन कर चुका है। राफेल विमान की युद्ध क्षमता अफगानिस्तान, लीबिया, ईराक और सीरिया और माली में फ्रांसीसी वायु सेना के मिशन में साबित हो चुकी है। गति के मामले में यह पाकिस्तान के बड़े में शामिल एफ-16 को भी मात देता है। आइए जानते हैं राफेल विमानों की खासियत। भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल होने के बाद कितनी मजबूत होगी सेना।