कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों में आपसी गड़बड़झाला,

अधिकारियों द्वारा अधिकारियों की बातें आपस में ही समझ से परे हैं तो स्कूल के बच्चे क्या पढ़ेंगे और ? समझेंगे, कहीं अधिकारी का निलंबन तो कहीं सफाई की आर्थिक पीड़ा देखने को मिल रही है
कोरबा (नवऊर्जा)। विकासखंड पाली के अंतर्गत आने वाले पथर्री प्राथमिक विद्यालय में साफ सफाई का काम करने वाले बसंत सतनामी को अपनी नियुक्ति से अब तक का मानदेय नहीं मिला है। इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा की गई औपचारिक टिप्पणी का कोई असर विकास खंड शिक्षा अधिकारी डी लाल पर नहीं पड़ा है। एक बार फिर इस मामले की शिकायत सफाई कर्मी ने जिला प्रशासन से की है। सफाई कर्मी ने कहा है कि आर्थिक कारणों के चलते वह आत्महत्या कर सकता है।
कोरबा जिले के अंतर्गत आने वाले विकासखंड पाली में बीईओ दिनेश लाल की हरकतों के कारण पथर्री शासकीय प्राथमिक शाला के सफाई कर्मी बसंत कुमार सतनामी और उसका परिवार आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। बसंत के 6 बच्चे हैं जून 2019 में पंचायत की अनुशंसा पर उसे सफाई कर्मी के तौर पर रखा गया और 2500 रू. प्रति महीने मानदेय दिया जाना सुनिश्चित किया गया तब से लगातार बसंत इस विद्यालय में सब सफाई नियमित रूप से करते आ रहा है किसी तरह की परेशानी पेश होने पाए इसके लिए वह हर दिन अपने काम के वीडियो भी तैयार करता है। बसंत ने आरोप लगाया कि अपनी नियुक्ति से लेकर अब तक किए गए काम के एवज में मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस पूरे मामले को बीईओ ने अनावश्यक लटका कर रखा है। बसंत ने बताया कि उसके कामकाज के बारे में विद्यालय की प्रबंध समिति और छात्रों को पूरी जानकारी है। बसंत ने म इस संबंध में वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री को भी अवगत कराया है।
बीईओ डी. लाल ने दैनिक नवऊर्जा को इस संबंध में बताया कि डी.ई.ओ. द्वारा मामले की जांच की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा ढाई वर्ष से लंबित इस मामले में त्वरित कार्यवाही की जानी चाहिए था, लेकिन उनके ढुलमुल रवैया से जिले की शिक्षा व सफाई व्यवस्था पर प्रश्र चिन्ह लग गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में उच्चाधिकारियों द्वारा गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। इससे प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग सफाई एवं सफाई कर्मियों केे मानदेय को लेकर कितनी संजीदा है?
सफाई कर्मी ने बताया कि मानदेय देने में बीईओ को क्या परेशानी है यह समझ से परे है वहीं इस मामले को लेकर डीईओ द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों को फटकार लगाकर मामले की इतिश्री कर ली गई है। सफाई कर्मी ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह कभी भी अपनी ईहलीला समाप्त कर लेगा। बहरहाल जिला प्रशासन से पीडि़त द्वारा शिकायत किए जाने के बाद अब देखना होगा कि जिला प्रशासन द्वारा कब तक मामले का निराकरण किया जाता है। तुमान के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का प्राचार्य का निलंबन तो पाली ब्लाक के पथर्री में संचालित विद्यालय में सफाई कर्मी की आर्थिक पीड़ा दिख रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार तक पहुंची सफाई कर्मी की पीड़ा की आंच, सच्चाई जो भी हो बिना देरी किए सफाई कर्मी को मानदेय मिलनी चाहिए या न्यायोचित कार्यवाही कर शासन को इसमें हुए गतिरोध को दूर करने निष्क्रिय अधिकारी का निलंबन होना चाहिए। तब सही मायने में शिक्षा के पवित्र मंदिर में स्कूली बच्चे भी स्वच्छ शाला की सुव्यवस्था में पढ़ेंगे और बढ़ेंगे।