अगर बात करें भगवान के साथ की तो भगवान का श्रीमत ही उनका साथ है।
ज़ब हम श्रीमत पर चलते तो हमारे साथ अच्छा स्वतः ही होता है और ज़ब हम मनमत पर चलते हैँ तो हमारे साथ बुरा स्वतः ही होता है।
मनुष्य अपने ही पुण्य कर्मों द्वारा सुख को भोगता है तो वही अपने ही पाप कर्मों द्वारा दुख को भोगता है।
भगवान किसी की मदद कैसे करते हैं ?
उत्तर भगवान श्रीमत देते हैं अर्थात राइट way ऑफ़ लिविंग क्या है। यह बतलाते हैँ, ज़ब हम उन सिद्धांतों को, नियम को, रूल्स एन्ड रेगुलेशन्स को अपने दैनिक कर्म में अप्लाई करते हैं तो हमारे कर्म में दिव्यता आ जाती है जिससे हमारा हर कर्म श्रेष्ठ होने लगता है और श्रेष्ठ कर्म के फलस्वरूप उसका फल भी हमें श्रेष्ठ रूप में ही मिलता हैं।
ज़ब हमें श्रेष्ठ फल मिलता है तो फल मीठा लगने से फल देने वाले दाता पिता परमात्मा की याद स्वतः आ जाती है और दिल से उनके लिए शुक्रिया निकलता है। तब हम कहते हैं की भगवान की मदद मिली लेकिन किस रूप में मदद मिली अगर इसकी गहराई में जाएं तो भगवान की श्रीमत ही उनकी मदद है।
ज़ब हम श्रीमत की जगह मनमत पर चलते हैं तो हमारे साथ स्वतः ही बुरा होता है मनमत अर्थात मन के नेगेटिव आदतों के वस होकर किये गये कार्य
जैसे क्रोध, लालच, ईर्ष्या, बदले की भावना इत्यादि के वस होकर ज़ब हम मनमत पर चलते हैं तो हमारे साथ स्वतः ही बुरा होने लगता हैं। तब हम कहते हैं की हमें भगवान का साथ नहीं मिला तो यहां भगवान का साथ नहीं मिला अर्थात हम ही उनके श्रीमत पर नहीं चले और दोष उनको देते की वह हमारा साथ नहीं दिए।
अगर एक पिता! पुत्र के द्वारा किये गये नेगेटिव कर्म में उसका साथ दे तो उसे बढ़ावा मिलेगा और अगली बार वह बच्चा उससे भी बड़ा क्राइम करेगा।
लेकिन ज़ब एक बच्चा कोई अच्छा काम करे और उसके पिता उसका साथ दें मनोबल बढ़ाएं तो वह बच्चा अगली मर्तबा उससे भी बेहतर काम करके दिखलाएगा।
अच्छे लोगों को भगवान परीक्षा क्यों देते हैं ?
एक पत्थर को जब मूर्ति बनाया जा रहा होता है तो उसे कितनी ही मर्तबा छेनी हथौड़े की मार सहनी पड़ती हैं। लेकिन जितना मर्तबा वह पत्थर छेनी हथौड़ी की मार सहता है वह उतनी ही खूबसूरत मूर्ति बनकर तैयार होता है। अगर छेनी हथौड़ी की मार पत्थर ना सहे तो वह पथ्थर कभी खूबसूरत मूर्ति नहीं बन सकता।
बिल्कुल कुदरत की भी यही रीत है कुदरत जब किसी को गुणवान, ज्ञानवान और शक्तिमान बनाती है। तो उसे जीवन में संघर्षों से होकर गुजरना पड़ता है। क्योंकि मनुष्य आत्मा की आंतरिक शक्ति आंतरिक गुण संघर्षों के दौरान ही जागृत होती है। बस इसीलिए अच्छे लोगों कि भगवान परीक्षा लेते हैं।
दरअसल उसे जो मंजिल मिलने वाली होती है। तो मंजिल पर पहुंचने के उपरांत वह बेहतर किरदार निभा सके इसके लिए बेस्ट किरदार निभाने योग्य बनाने के लिए संबंधित ज्ञान, गुण, शक्तियां परमात्मा बच्चों में मंजिल पर पहुंचने से पहले डाल रहे होते हैं, तो उस दौरान संघर्षो से होकर गुजरना लाजमी है। बस इसलिए ही अच्छे लोगों की परीक्षा भगवान लेते हैं। क्योंकि परीक्षा के दौरान ही आंतरिक गुण, शक्ति विकसित होती है।
Om shanti