नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच देशभर में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। देशभर में ब्लैक फंगस के 9 हजार से अधिक मामले सामने आने के बाद कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। यूपी, बिहार , मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और तेलांगना ने म्यूकरमाइकोसिस को एपिडमिक डिजीज एक्ट, 1897 की धारा -2 के तहत महामारी घोषित किया है। वहीं, दूसरी तरफ ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार इसके इलाज में अहम एंफोटेरिसिन-बी की उपलब्धता भी बढ़ाने में जुटी हुई है। डाक्टरों के अनुसार कोरोना से ठीक होने वाले ज्यादातर मरीज, खासकर डायबिटिक के मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं।
बिहार
राज्य में ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए इसे महामारी घोषित कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह आदेश एक वर्ष तक के लिए प्रभावी रहेगा। ब्लैक फंगस महामारी घोषित होने के साथ ही विभाग ने कई नियमों को आवश्यक बना दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की ब्लैक फंगस मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नियमित तैर पर देनी होगी देनी होगी।
उत्तराखंड
प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी और सूचीबद्ध बीमारी घोषित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरेसिन-बी के वितरण को लेकर एसओपी जारी की है। इसके तहत यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल और सरकारी मेडिकल कालेज अथवा संस्थाओं को ही जारी की जाएगी।
उत्तर प्रदेश
कोरोना से रिकवर हो रहे मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है। ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केंद्र सरकार राज्यों को निर्देश दिए थे कि वह चाहें तो इसे महामारी घोषित कर सकते हैं। ब्लैक फंगस को अधिसूचित बीमारी घोषित करने के बाद अब हर मरीज का ब्योरा शासन को देना अनिवार्य होगा।
मध्य प्रदेश
ब्लैक फंगस को मध्य प्रदेश में महामारी घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस बीमारी के उपचार की अच्छी से अच्छी व्यवस्था की जाएगी। मरीजों के लिए एम्फोटैरिसिन बी इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने से निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन लागू हो गई है। इसके अलावा इलाज के लिए आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति केंद्र और राज्य स्तर से सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश में अभी पांच मेडिकल कॉलेजों में इस बीमारी का उपचार किया जा रहा है।
आंत में मिला ब्लैक फंगस
अभी तक ब्लैक फंगस का संक्रमण नाक, आंख और मस्तिष्क में फैल रहा था, लेकिन अब यह आंत में भी पहुंच गया है। सर गंगाराम अस्पताल में दो ऐसे मरीज मिले हैं जिनकी छोटी आंत में ब्लैक फंगस के कारण छेद हो गया। इस दुर्लभ मामले में मरीजों को पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद सीटी स्कैन में मामला पकड़ में आया। दोनों मरीजों का आपरेशन कर ब्लैक फंगस से प्रभावित छोटी आंत के हिस्से को निकाल दिया गया है।
कैसे असर करता है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस से नाक, आंख, साइनस और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचता है। इंसानों में ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले बहुत कम मिलते हैं। मिट्टी, पौधों, खराब फल और सब्जियों में ब्लैक फंगस होते हैं और इसके संपर्क में आने के बाद कभी–कभी इंसान भी इससे संक्रमित हो जाता है। डाक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान स्टेरायड का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेरायड से रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित करती है और ब्लैक फंगस कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को ही पक़़डता है।