रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गांधी जयंती के अवसर पर आज शहीद स्मारक भवन में ‘गांधी, युवा और नये भारत की चुनौतियां’ विषय पर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने वाटर रिचार्जिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले व्यक्ति और संस्था को ‘अनुपम मिश्र पुरस्कार’ देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध रंगकर्मी ‘हबीब तनवीर’ के नाम पर भी पुरुस्कार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और छत्तीसगढ़ महतारी के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर आशीष सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘सोनाखान 1857’ और आमिर हाशमी द्वारा लिखित पुस्तक ‘जोहार गांधी’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, विधायक देवेन्द्र यादव, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सचिव अन्बलगन पी, संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य सहित राजीव युवा मितान क्लब के लगभग साढ़े तीन हजार युवा सदस्य भी मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी को याद करने का दिन है। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में जिन चीजों का प्रयोग किया गया, वह सभी वर्धा में स्थित मगन संग्रहालय में रखा गया है। उन्होंने चरखा, कृषि औजारों पर लगातार शोध करवाया। कार्यों को और उत्कृष्ट ढंग से करने के लिए प्रोत्साहन पूर्ण आयोजन उस समय गांधी जी ने करवाए। पूरी दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई है, वह युवाओं से हुई है, अन्याय के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना जागृत हुई, परिवर्तन की अलख जगी। गांधी जी ने स्वावलंबन, प्रेम, सत्य, अहिंसा का रास्ता दिखाया और आजादी दिलाई।
भूपेश बघेल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी ने वस्त्र इसलिए त्यागे क्योंकि उन्होंने हिन्दुस्तान की न्यूनतम आवश्यकताओं की परम्परा का निर्वहन किया। अगर आगे बढ़ना है तो हमें भी न्यूनतम आवश्यकताएं रखनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि अपना समय और ऊर्जा नये विचारों और कामों के लिए खर्च करें। गांधी जी चाहते थे युवा आत्मनिर्भर बनें, स्वावलंबी बनें, आगे बढ़ें, इन्हीं विचारों को लेकर गांधी जी भी आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि गांधी ने अहिंसा, सत्य और प्रेम से लड़ाई लड़ी। मेहनत और समर्पण से स्व-रोजगार गढ़कर स्वावलंबी बनना गांधी जी का रास्ता है। उन्होंने जरूरतमंद और पीड़ित मानवता की सेवा का रास्ता दिखाया। जीवन का अनुभव पुस्तक के ज्ञान पर भी भारी पड़ता। भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात के दौरान मिले बालोद के युवा किसान दिव्यांग धुर्वे का उदाहरण देकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया और कहा कि मेहनत ही गांधी जी का बताया रास्ता है। उन्होंने कहा कि मेहनतकश स्व-सहायता समूहों की बहनों के चेहरे पर जो आत्मविश्वास का भाव है, वह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। मेहनत से आत्मविश्वास आता है, जिससे बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।