राजनांदगांव|छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में दो नाबालिग बहनों ने कथित तौर पर अपने 45 वर्षीय पिता को कुल्हाड़ी से मार डाला। पित की गलती यह थी कि उसने अपनी पत्नी के साथ-साथ बेटियों को भी गाली और मारपीट की थी। एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना मंगलवार की रात अंबागढ़ चौकी थाना क्षेत्र के बेलारगोंडी गांव में हुई।
अंबागढ़ चौकी थाने के एसएचओ आशीर्वाद राहतगांकर ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, सहदेव नेताम अक्सर शराब के नेश में घर आता था और 14 और 16 साल की अपनी बेटियों और पत्नी के साथ मारपीट करता था। उन्होंने कहा कि मंगलवार की रात भी नेताम शराब के नशे में घर पहुंचा और बहस के बाद अपनी पत्नी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पिता की हरकत देख जब बेटियों ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो उसने घर में रखी कुल्हाड़ी उठा ली।
अधिकारी ने कहा कि लड़कियों ने कथित तौर पर अपने पिता से कुल्हाड़ी छीन ली और कई बार हमला कर दिया। उन्होंने बताया कि हमले की सूचना मिलते ही पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। अधिकारी ने कहा कि लड़कियों पर हत्या का आरोप में मामला दर्ज कर लिया है और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। घटना की आगे की जांच अभी जारी है।
‘ कब बुझेगी प्यास ‘ महंगी ? अब तो पानी से भी खून सस्ता,
देश में बदल गया शराब पीने और पीने के बाद होने वाले गतिविधियां,
पहले शराब का सेवन कुछ खास लोगों के द्वारा कुछ महत्वपूर्ण अवसरों पर किया जाता था।
आज की स्थिति बदल गई है, मानव सामाज को उपलब्धियां हासिल करने के लिए आम जनता के लिए बेतरतीब छूट मिल गई ,
लोग खास को भूलकर आम बातों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु स्वयं को ढाल चुके हैं।
परिणाम- बच्चे, बूढ़े, जवान, नौकरीपेशा और बेरोजगारी के दंश झेल रहे सभी में यह सब देखने-सुनने को मिल रही है।
देश, प्रदेश में हो रहे रोज़ के दुखद घटना-दुर्घटना की कीमत बेकसूर बच्चों को चुकानी पड़ रही है।
केन्द्र और राज्यों की सरकारें सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं।
अब तो छोटे-छोटे नादान बच्चे-बच्चियां भी शराब के दुष्प्रभाव के घेरे से बचने के लिए अपनों की हत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
जुल्म करने वाले अपराधी पर अपराध दर्ज होना ही चाहिए।लेकिन जुल्म के लिए प्रेरित करने वाले सरकारी शराब नीतियों को नजर अंदाज भी नहीं किया जा सकता,
देश में हो रहे हत्या के घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए –
न्यायालयों को-
हमारी सरकार की शराब उत्पादन और शराब विक्रय नीति से देश के नागरिकों को मिल रहे रोजगार और आर्थिक नफा नुकसान को ज्ञात करने की आवश्यकता है। क्योंकि देशवासियों के लिए बनाए शराब उत्पादन और वितरण की नीति समस्त मानव समाज के लिए ज्वलंत मुद्दा बन गया है,
शराब के कारण प्रतिदिन हो रहे हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती को रोकने में असफल और बढ़ावा देने में मशगूल सरकार के शराब नीति के विरुद्ध आवाज उठाने वाले भले ही असहज बनें हुए हैं।
केंद्र एवं राज्य की सरकारों को स्वयं आगे आकर अपराध को बढ़ावा देने में प्रेरक होने के बजाय अपराधिक मामला को कम करने के दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है,
अगर हमारी चुने हुए सरकारें जनहित के कार्यों को करने में सक्षम नहीं दिखाई दे, तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को शराब उत्पादन और वितरण नीति को बदलने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि देशवासियों में शराब नीति के कारण बन रहे हत्या के भय एवं संबंधित अन्य अपराध को रोका जा सके।
नारायण प्रसाद केशरवानी
छत्तीसगढ़ सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था-संस्थापक एवं सेवा प्रमुख- पंचशील कौशल सेवा संस्थान, कोरबा