रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में डेंगू (Dengue) का प्रकोप बढ़ रहा है. रायपुर के नगर निगम कॉलोनी, बजरंग नगर, आमापारा बस्ती, शिव नगर, तात्यापारा के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में डेंगू का कहर है. एक-एक कर डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक करीब 2 दर्जन लोग डेंगू से पीड़ित हैं. सभी मरीजों का अलग-अलग हॉस्पिटलों में इलाज जारी है. लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं कि जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के बावजूद अब तक कोई शिविर नहीं लगाया गया. इसके रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए गए हैं.
डेंगू कैसे होता है ?
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं. ये मच्छर दिन में खासकर सुबह काटते हैं. डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं.
कैसे करें बचाव ?
डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी को काबू करना है. इसके लिए या तो लार्वा पर नियंत्रण करना होता है या वयस्क मच्छरों की आबादी पर. एडिस मच्छर कृत्रिम जल संग्रह पात्रों में जनन करते है जैसे टायर, बोतलें, कूलर, गुलदस्ते इन जलपात्रों को अक्सर खाली करना चाहिए. यही सबसे बेहतर तरीका लार्वा नियंत्रण का माना जाता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्क मच्छरों को काबू में करने के लिए कीटनाशक धुंआ किसी हद तक प्रभावी हो सकता है. मच्छरों को काटने से रोक देना भी एक तरीका है, लेकिन इस प्रजाति के मच्छर दिन में काटते है. जिससे मामला गंभीर बन जाता है. एक नया तरीका मेसोसाक्लोपस नामक जलीय कीट जो लार्वा भक्षी है, जिसे रूके जल में डाल देना चाहिए. जैसे- गम्बूशिया, मलेरिया के खिलाफ प्रभावी उपाय है. यह बेहद प्रभावी, सस्ता और पर्यावरण मित्र विधि है. इसके विरूद्ध मच्छर कभी प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं कर सकते हैं.