रायपुर. फिल्म का वो मशहूर गाना है… गोरे रंग पर ना इतना गुमान कर…गोरा रंग तो पल में ढल जायेगा…!!!..गाने से ये बोल हनी ट्रैप वाली श्वेता जैन पर बिल्कुल सटीक बैठती है। जिस हुस्न के मंत्री-अफसर सब दीवाने थे…वो अब बुरी तरह मुरझा गया है। दमकते चेहरे में झुर्रियां पड़ गयी है…चमकता चेहरा गेहुंवा हो गया है….ना हेयर स्टाइल और ना मटकती चालें …जिस कातिलाना अंदाज से ब्योरोक्रेसी गलियारे में जलवे काटती थी…उसी को देखकर अब तरस आने लगा है।
हनी ट्रेप की आरोपी श्वेता की अब मुश्किलें बढ़ने वाली है। पुलिस के बाद अब श्वेता पर इनकम टैक्स ने भी शिकंजा कस लिया है। श्वेता पर आरोप है कि वो या तो खुद अफसरों व नेताओं के पास जाती थी या फिर गिरोह में शामिल में लड़कियों को भेजती थी। माना जा रहा है कि अश्लील वीडियो के नाम पर श्वेता ने अफसरों ने लाखों-करोड़ो रुपये ब्लैकमेल कर वसूले।
हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले के तार छत्तीसगढ़ से भी जुड़े हो सकते है. सूत्रों की मानें तो महिला गैंग के निशाने पर सूबे के तीन अफसर थे. जानकारी के मुताबिक, वन विभाग के दो अफसर और एक आईएएस अधिकारी का संपर्क इन लोगों से था. वन विभाग के अधिकारी इस दौरान डीएफओ रैंक पर थे.
कुछ साल पहले एक कलेक्टर भी इसी हनी प्रेम के चक्कर में बुरी तरह ट्रेप हो गए थे। कलेक्टर को कितना हनी खाने को मिला ये तो पता नहीं मगर मीडिया में जब भद पिटी तो सरकार ने कलेक्टर की छुट्टी कर दी। बाद में पता चला कि मामला आम सहमति की थी।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय एक कलेक्टर भी प्रेम के चक्कर में ऐसे पड़े थे कि उन्हें प्रेमिका से षादी रचानी पड़ गई। आईएएस का वहां पोस्टिंग के दौरान एक ब्राम्हण कन्या से प्रेम हो गया। प्रेमिका शादी करने का प्रेशर बनाई तो कलेक्टर लगे पीछे हटने। इस पर प्रेमिका ने एक रोज सर्किट हाउस पहुंचकर हंगामा खड़ा कर दिया। कलेक्टर को फिर शादी करनी पड़ी।
रमन सरकार के दौरान एक डीएफओ को एक ठेकेदार की बेटी ने ट्रेप कर लिया था। डीएफओ इस कदर इस मामले में उलझ गए कि पीछा छुड़ाते नहीं बन रहा था। प्रेमिका इसे समझने के लिए तैयार नहीं थी। डीएफओ को थक हारकर फिर पहली पत्नी को तालाक देना पड़ा। इसके बाद उन्होंने प्रेमिका से ब्याह किया तब जाकर मामला खतम हो हुआ।
ये तो ऐसे मामले हैं जो किसी-न-किसी रूप में पब्लिक डोमेन में आ गए। लेकिन, नौकरशाही में, पुलिस में और वन सेवा में ऐसे शौक रखने वाले अफसरों की कमी नहीं है। सीनियर से लेकर जूनियर तक। फर्क यह है कि किस्मत के धनी हैं।