रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले और अन्य कामों के लिए 366 करोड़ की कथित वसूली वाली डायरी वाली कांड का खुलासा हो गया है। रायपुर पुलिस ने 3 दिनों तक ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर, संजय सिंह ठाकुर, और कपिल कुमार देवदास शामिल हैं। इन सबके खिलाफ धारा 419, 469, भादवि के तहत मामला दर्ज किया गया है। चंद्राकर 2021 में रिटायर होने के बाद अपने संविदा नियुक्ति के लिए प्रयासरत था।
यह डायरी सार्वजनिक होते ही सरकार में हडक़ंप मच गया था, और इसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा था। इसके बाद शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शुक्रवार को सीएम से मुलाकात की। और मामले की जांच की मांग की। इसके बाद 24 घंटे के भीतर ही पुलिस ने मामले का भांडाफोड़ कर दिया।
इस घटना के संबंध में एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने शनिवार दोपहर पत्रकारों से चर्चा में बताया कि उप संचालक लोक शिक्षण आशुतोष चावरे ने तीन दिन पहले राखी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कुछ अज्ञात लोगों के द्वारा चावरे को बदनाम करने की नीयत से उनके नाम के फर्जी हस्ताक्षर कर शिक्षा मंत्री के पीए की कथित डायरी को सर्कुलेट किया गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने एएसपी अभिषेक महेश्वरी के नेतृत्व में आधा दर्जन पुलिस वालों की टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद पुलिस ने शुक्रवार को ही इन आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
घटना के संबंध में प्रार्थी से विस्तृत पूछताछ करते हुए आरोपियों द्वारा प्रार्थी के नाम से प्रेषित शिकायत पत्र को एकत्र कर अवलोकन किया गया। अवलोकन पर यह प्रतीत हुआ कि उक्त घटना कारित करने में निश्चित रूप से किसी विभागीय व्यक्ति की संलिप्तता रही होगी। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए एक टीम स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रेषित शिकायत पत्र की जांच हेतु पोस्ट ऑफिस में संपर्क करते हुए जिस पोस्ट ऑफिस से वह पत्र स्पीड पोस्ट किया गया था, वहां तक पहुंची जिसमें पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी फुटेज में एक व्यक्ति दिखाई दिया। जिसकी पहचान कपिल कुमार देवदास के रूप में की गई।
साथ ही उसके संबंध में तकनीकी विश्लेषण किया गया जिस पर कपिल द्वारा अपने मोबाईल फोन से पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चन्द्राकर से संपर्क करना पाया गया। इसी समय इन्ट्रोगेशन टीम द्वारा शिक्षा विभाग के स्टॉफ अजय सोनी से पूछताछ की जा रहीं थी। जिसने उक्त शिकायत की साथ लगे कथित डायरी की लिखावट को अपनी होने से इनकार किया गया, और किसके द्वारा लिखा गया है। यह जानने से इंकार करते हुए उसके तथ्यों को काल्पनिक व निराधार बताया साथ ही इस कृत्य को अंजाम देने में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चन्द्राकर पर संदेह जाहिर किया।
दोनों कडिय़ां आपस में जुडऩे से पुलिस टीम का संदेह गेंदाराम चन्द्राकर पर पुख्ता हो गया किंतु इसी समय कपिल कुमार का मोबाईल फोन बंद हो गया। बाद में पुलिस टीम द्वारा गेंदाराम चन्द्राकर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, तो उन्होंने अपने अन्य दो साथी कपिल कुमार और संजय कुमार सिंह के साथ मिलकर इसे अंजाम देने की बात स्वीकारी। इसके बाद पुलिस ने कपिल कुमार एवं संजय सिंह ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया।
इस प्रकार तीनों आरोपियों के द्वारा सुनियोजित ढंग से षडयंत्र पूर्वक शासन की छवि धुमिल करने के उद्देश्य से फर्जी शिकायत पत्र तैयार कर एवं फर्जी हस्ताक्षर कर प्रचारित एवं प्रसारित किया गया था। साथ ही सबूतों को नष्ट करने का प्रयास भी किया गया जिस पर से प्रकरण में आरोपियों के विरूद्ध धारा 420, 465, 468, 471, 120बी, 201 भादवि. भी जोड़ी गई है।
संविदा नियुक्ति पाने में असफल हुआ, तो ….
सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेेंदाराम चन्द्राकर की सेवा निवृत्ति जनवरी – 2021 में हुई। गेेंदाराम चन्द्राकर संविदा पद पर नियुक्ति चाह रहा था। इसके लिए चंद्राकर ने कई तरह के प्रयास किए। किंतु वह सफल नहीं हो पाए और ए.एन.बंजारा की नियुक्ति उस पद पर हो गई। अपनी संविदा नियुक्ति की फाईल रूकवाने के पीछे वह बंजारा, संयुक्त संचालक के.सी.काबरा, तत्कालीन ओ.एस.डी. आर.एन. सिंह, ए.बी.ई.ओ. प्रदीप शर्मा व निज सचिव अजय सोनी की मिली भगत को जिम्मेदार मानता था। इन्हीं कारणों से इन सभी को सबक सिखाने के उद्देश्य से चन्द्राकर ने अपने मित्र संजय सिंह के माध्यम से शिक्षा विभाग में ट्रांसफर व पोस्टिंग के नाम पर लेनदेन की मनगंढ़त कहानी बनाकर शिकायत करने की योजना बनायी।