नई दिल्ली Corona Vaccine। जब से कोरोना महामारी आई है, दुनियाभर में बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। इस बीच भारत में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यदि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आती है तो यह बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती है। ऐसे में भारत में बच्चों के लिए कोरोना टीकाकरण की स्थिति क्या है और दुनिया के अन्य देशों में बच्चों को वैक्सीन लगाने के संबंध में क्या चल रहा है, यह हर कोई जानना चाहता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से –

सिर्फ कनाडा में बच्चों को वैक्सीन लगना शुरू

दुनिया के अलग-अलग देशों में बच्चों को वैक्सीन लगाने का काम शुरू भी हो चुका है। इसमें फिलहाल सिर्फ कनाडा ही एक ऐसा देश है, जहां 12 साल के बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि कुछ अन्य देशों में 16 साल तक के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी है। कनाडा, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में सभी बुजुर्गों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

अमेरिका में जल्द लगेगी बच्चों को वैक्सीन

अमेरिका में भी बच्चों को वैक्सीन लगने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। दरअसल अमेरिका में भी कई पैरेंट्स् व टीचर्स से जुड़े संगठन बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंता जता चुके हैं और बच्चों में वैक्सीन लगाने का काम में तेजी लाने की मांग कर रहे हैं। बच्चों को वैक्सीन लगने के बाद ही स्कूल खोलने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है।

भारत में करना होगा अभी लंबा इंतजार

भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है और भारत फिलहाल कोरोना वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। भारत की आबादी अमेरिका की तुलाना में चार गुना ज्यादा है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई युवा भी संक्रमित हुए हैं। भारत में बड़ी तादाद में ज्यादा उम्र के ऐसे लोग अभी भी बचे हुए हैं, जिन्हें अभी कोरोना वैक्सीन नहीं लगी है।

प्रति व्यक्ति के लिहाज से भारत में अभी वैक्सीन की उपलब्धता मात्र 0.2 वैक्सीन डोज ही है, जो बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। वैसे भी कोरोना संक्रमण देश में फिलहाल वयस्कों में ज्यादा दिख रहा है, इसलिए सरकार का फोकस भी फिलहाल वयस्कों पर ही है। सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने के अनुमति भले ही दे दी हो, लेकिन अभी भी देश में कई राज्य वैक्सीन की किल्लत से परेशान हैं।

भारत में बच्चों की वैक्सीन पर ट्रायल शुरू

भारत में फिलहाल कोवैक्सीन को बच्चों पर ट्रायल को अनुमति दी गई है। कंपनी 500 से ज्यादा स्वयंसेवकों पर परीक्षण करेगी। पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के बाद ही कंपनी को तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा बाकी दुनिया में फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों ने छोटे बच्चों में अपनी वैक्सीन का ट्रायल किया है और इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे है। एस्ट्रजेनेका ने भी ब्रिटेन में 6-17 साल तक के बच्चों पर परीक्षण शुरू कर दिया है।