कानपुर: कोरोना वायरस का म्यूटेंट अगर बदलता है तो देश में चौथी लहर आने की संभावना हो सकती है। हालांकि यह लहर भी तीसरी लहर की तरह कम घातक और उससे भी कमजोर होने की संभावना है। यह दावा किया है आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने। उन्होंने कहा कि देश में 90 फीसदी लोगों में नेचुरल इम्युनिटी जनरेट हो चुकी है, जो इस संक्रमण से सुरक्षा करती है। कहा वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना बहुत कम है।
आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल अपने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर कोरोना का सटीक आकलन करते रहे हैं। पहली, दूसरी व तीसरी लहर में उनके आकलन काफी हद तक सही साबित हुए। चौथी लहर को लेकर जहां पूरी दुनिया फिर दहशत में हैं, इसके बीच प्रो. अग्रवाल का जो दावा है, वह देश के लोगों के लिए राहत भरा है। उनके मुताबिक म्यूटेंट बदलने पर चौथी लहर आती है तो वह कम घातक होगी और जल्दी समाप्त हो जाएगी। वैक्सीन से जनरेट इम्युनिटी लड़ने की क्षमता विकसित कर रही है तो नेचुरल इम्युनिटी को वायरस बाईपास करने में बहुत हद तक सफल नहीं हो रहा है। इसी कारण, तीसरी लहर में ओमीक्रोन देश में सिर्फ 11 फीसदी लोगों को ही संक्रमित कर पाया था। प्रो. अग्रवाल ने 15 से अधिक देशों में फैले कोरोना संक्रमण पर अध्ययन किया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही इन देशों में भी संक्रमण का पीक व उतार रहा था। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि अब भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है।