कोरबा। जिले के वनांचल इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदाय में पुराने परंपरा चली आ रहे है। विवाह समारोह हो या कोई भी सामाजिक कार्यक्रम शराब के साथ ही मेहमाननवाजी की जाती है। मगर इसके विपरीत एक गांव ऐसा है जहां के आदिवासी पिछले दो दशक से शराब के नशे से दूर है।
ये नजारा कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर जलके ग्राम पंचायत के गांव का है। यहां पंडो जनजाति के लोग निवास करते हैं। यहां रहने वाले लोग अपनी सुविधाओं के लिए सरकार का मुंह नहीं ताकते। बल्कि खुद की मेहनत और आपसी सहयोग से अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। जी हां पंडो समुदाय के लोगों ने इस गांव को आदर्श गांव बना लिया है।
दरअसल सालों पहले इस गांव में घर घर शराब बनाया जाता था। लोग नशे में चूर होकर विवाद करते थे। शराब की वजह से परिवार टूटने लगा था। गांव के बिगड़ते हालात को देखते हुए बुजुर्ग महिलाओं ने समूह बनाकर गांव को नशा मुक्त करने का बीड़ा उठाया। गांव में शराब बनाने और सेवन करने वालों पर जुर्माना लगाया गया। महिलाओं की पहल रंग लाई धीरे-धीरे गांव के लोग शराब से दूर होते चले गए। वर्तमान में यह गांव शराब मुक्त है।
महिलाओं की मेहनत से लोग शराब से दूर होते चले गए। गांव में शांति और लोग भाईचारे की भावना से एक दूसरे की मदद करने लगे। गांव आज विकास से कोसों दूर है। मगर उन तमाम समस्याओं के लिए यहां के ग्रामीण प्रशासन या सरकार का मुंह नहीं ताकते। बल्कि श्रमदान कर इन्होंने गांव में तालाब, सड़क और कुआ का निर्माण कर लिया है। इसके अलावा जब भी किसी ग्रामीण को घर बनाना होता है तो बस्ती के लोग निस्वार्थ भाव से उसका सहयोग करते हैं। बड़ी बात यह है कि शराब से दूर होने के बाद इस गांव में किसी तरह का विवाद नहीं होता। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गांव में आज तक पुलिस के कदम भी नहीं पड़े हैं। पुलिस भी गांव के आदिवासियों की सराहना करती है।