कोरबा। अंग्रेजी माध्यम स्कूल को लेकर ढाई साल से शिक्षा विभाग का ध्यान केवल इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहा है। पुराने स्कूल भवनों को ही नया लुक देकर इनकी तुलना सीबीएसई से संबद्ध निजी स्कूलों से की गई है। शहर के बीच स्थित पंप हाउस अंग्रेजी माध्यम स्कूल में डीएमएफ के एक करोड़ 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।
जबकि, ब्लाॅकों में खुलने वाले स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में खानापूर्ति की गई है। शहर के स्कूल को बेहतर दिखाकर जिला शिक्षा विभाग वाहवाही लूटता रहा है। वह केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मान्यता लेना ही भूल गए। जिसके कारण वहां प्रवेश लेने वाले छात्र जो सीबीएसई पाठ्यक्रम की पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें सीजी बोर्ड का पाठ्यक्रम पढ़ना पड़ेगा। क्योंकि सीबीएसई की मान्यता नहीं मिली है।
मान्यता के लिए आवेदन भी तब किया गया जब इसके लिए तय समय निकल गया। एक अधिकारी ने बताया कि पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। सभी जगह इस सत्र में सीजी बोर्ड के पाठ्यक्रम ही पढ़ाए जाएंगे। भाजपा की तत्कालीन रमन सरकार के मॉडल स्कूलों की तर्ज पर कांग्रेस की भूपेश सरकार ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मानती है। पर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ही गलत ढंग से हो रही है।
- शहर के स्कूल को तैयार करने हो चुके हैं 1 करोड़ 30 रुपए खर्च
- जिले में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल 6, कक्षाएं पहली से 12वीं तक
- कोरबा समेत प्रदेश के 28 जिलों में 171 शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल
…. तब तो अगले सत्र में भी मान्यता मुश्किल
जिले के एक निजी स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि सीबीएसई की मान्यता प्राप्त करने के लिए जो नाॅर्म्स हैं उसके लिहाज से तो अगले सत्र में भी मान्यता मिलना मुश्किल है। चूंकि मामला शासन से जुड़ा है इसलिए संभव है। उन्होंने बताया कि मान्यता के लिए मार्च में आवेदन करना होता है। 3 एकड़ का स्कूल कैंपस होना चाहिए, उसमें खेल मैदान आदि हों। आवेदन करने के 3-4 माह बाद बोर्ड की एक टीम विजिट करती है, जो मौके पर आकर नार्म्स को वेरिफाई करती है।
शहर में फोकस, आउटर की अनदेखी की गई
जिले में इस सत्र से 6 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुल गए हैं। लेकिन सुविधा, संसाधन व भवन की बात करें तो विभाग का पूरा फोकस शहर के पंप हाउस स्कूल में ही रहा। जबकि पाली, हरदीबाजार, पोड़ी-उपरोड़ा, कटघोरा व करतला में के अंग्रेजी माध्यम स्कूल में केवल रंग-रोगन का ही काम किया गया है। शिक्षा विभाग की इस अनदेखी को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीणों का कहना है कि शहर के स्कूल की तरह उनके स्कूलों का भी कायाकल्प होना था।
मॉडल स्कूलों को सौंपा डीएवी को
तत्कालीन रमन सरकार ने कोरबा समेत पूरे प्रदेश के सभी ब्लाकों में मॉडल स्कूलों की स्थापना की थी। बेहतर शिक्षा भी मिलने लगी थी। लेकिन, सरकार ने सभी स्कूलों को डीएवी प्रबंधन के हाथों सौंप दिया। सत्ता बदलते ही भूपेश सरकार ने भी उसी तर्ज पर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोल रही है। दो साल पूर्व शुरू हुई पहल के बाद स्कूल भवन चिन्हित हो गए।
करोड़ों खर्च, सुरक्षा की अनदेखी
नगर निगम के एल्डरमैन व पंप हाउस निवासी एस मूर्ति ने कहा कि शासकीय हाई स्कूल की जगह अंग्रेजी माध्यम स्कूल को संवारने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन, विभाग का ध्यान उस संपत्ति की सुरक्षा पर नहीं है। शिक्षा विभाग को इसके लिए पहल करते हुए एक चौकीदार की व्यवस्था करनी चाहिए।
सीबीएसई की मान्यता के लिए जून में किया है आवेदन: प्राचार्य
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल पंप हाउस, कोरबा के प्राचार्य विवेक लांडे ने कहा कि सीबीएसई से मान्यता के लिए जून में आवेदन किया गया है। इस साल सीजी बोर्ड के पाठ्यक्रम ही पढ़ाए जाएंगे। बीच में मान्यता मिल भी जाएगी तो संभव नहीं होगा। सीबीएसई पाठ्यक्रम से पढ़ाई सत्र 2022-23 में ही शुरू हो पाएगी।