निर्माण कार्य की आड़ में शासन को पहुँचाई जा रही लाखों की राजस्व क्षति
कोरबा। खनिज संपदा के अवैध तरीके से दोहन से हो रही राजस्व की हानि को लेकर प्रदेश मुखिया भूपेश बघेल ने रेत सहित गौण खनिज के अवैध खनन और परिवहन पर सख्ती से कार्यवाही के निर्देश दिए, और इसके बाद से ही प्रदेश भर में जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई, मगर कई जिले ऐसे हैं जहां अवैध तरीके से निजी और सरकारी जमीन पर मिटटी और मुरुम की खुदाई की जा रही है और प्रशासन इस ओर से आँखें मूंदे हुए है।
गेवरा-पेंड्रा रेल कॉरिडोर के लिए हो रही है खुदाई
जिले में गेवरा से पेंड्रा तक रेल कॉरिडोर के निर्माण कार्य में ठेका फर्म द्वारा अवैध तौर-तरीके अपनाकर राजस्व, वनभूमि और निजी जमीन से जमकर मिट्टी- मुरुम का खनन किये जाने की जानकारी सामने आयी है। यहां मिटटी-मुरुम का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य की आड़ में शासन को लाखों की राजस्व क्षति भी पहुँचाई जा रही है और संबंधित विभागों के अधिकारी मौन साधे बैठे हैं। ठेकेदारों द्वारा पसान, बैरा, पुटी पखना, कुटेसर नगोई, बरतराई क्षेत्र में अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है।
महीनों से चल रहा है यह काम
रेल कॉरिडोर के लिए संबंधित ठेकेदार द्वारा बीते 4 महीनों से यह काम किया जा रहा है। शुरुआत में केवल एक किसान की जमीन से मिटटी-मुरुम की खुदाई की अनुमति खनिज विभाग से लेकर खुदाई शुरू की गई। इसके बाद अन्य भोले- भाले ग्रामीण किसानों को भी लालच देकर उनके खेतों और जमीन से भी खुदाई की जा रही है।
हरे-भरे पेड़ों को किया जा रहा है जमींदोज
इस खुदाई के दौरान अनगिनत बबूल, पलास, महुआ, कोसम सहित अन्य हरे- भरे पेड़ो को धराशाई कर जमींदोज किया जा चुका है। इसके अलावा जमीन की खुदाई करके बड़ी संख्या में पेड़ों को अधर में छोड़ दिया गया है। तस्वीरें बता रहीं हैं कि किस तरह अंधाधुंध खुदाई की जा रही है। साफ़ है कि आने वाले बारिश के मौसम में यहां मिटटी का कटाव होगा और सभी पेड़ धराशायी हो जायेंगे।
बिजली के विशालकाय टॉवर को खतरा
रेल कॉरिडोर के लिए हो रही बेतहाशा खुदाई का एक और नमूना देखिये। गहरी खुदाई के चलते हाई टेंशन बिजली का यह टॉवर भी अधर में लटक गया है। इस टॉवर को कितना खतरा है, यह साफ़ नजर आ रहा है, मगर कोरबा जिले के संबंधित विभागों के किसी भी अमले को यह करतूत नजर नहीं आ रही है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कोरबा जिले में ही बंद पड़े एक निजी बिजली कारखाने के टॉवर के एंगल को कबाड़ियों ने काट डाला, जिसके चलते विशालकाय टॉवर झुक गया, इससे बाजू से होकर गुजर रहे CSEB के बिजली टॉवर को खतरा पैदा हो गया। आनन-फानन में इस टावर की बिजली काटी गई, जिसके चलते घंटों तक कई जिलों में अंधेरा रहा। ऐसा लग रहा है कि फ़िलहाल इस तरह के खतरे का अहसास जिले के अधिकारियों को नहीं है।
ठेकेदार ने ग्राम पंचायत पसान, कुटेसर नगोई, बरतराई, सिंधिया, पसान के नारंगी जंगल के अंदर दर्जनों कीमती हरे- भरे पेड़ो को धराशायी कर मिटटी की ढुलाई के लिए अनेक मार्गों का निर्माण कर लिया है। जिसके लिए भारी भरकम मशीनों व ट्रकों को लाने ले जाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। जंगलों के बीच अवैध रास्तों के निर्माण की वजह से पेड़- पौधों के साथ ही पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। वही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना PMGSY के तहत निर्मित सड़कों पर भी ओवरलोड वाहनों को दिन- रात दौड़ाया जा रहा है, जिससे सड़क के भी परखच्चे उड़ने लगे है। वन और राजस्व विभाग के अमले द्वारा इस पर भी किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है।
वन विभाग की नहीं है जमीन – DFO
इस मामले में जब हमने कटघोरा वन मंडल की DFO शमा फारुकी से जानकारी चाही, तब उन्होंने कहा कि यह राजस्व क्षेत्र की जमीन का मामला है। पूर्व में उन्होंने खुदाई वाले स्थानों की जांच थी, मगर तब वन विभाग की किसी भी जमीन पर खुदाई नहीं पाई गई। DFO से जब पेड़ों को हो रहे नुकसान के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि चूँकि यह राजस्व क्षेत्र की जमीन का मामला है इसलिए पेड़ों के मामले में भी कार्रवाई राजस्व विभाग करेगा।
कुछ किसानों को दी गई है अनुमति – खनिज अधिकारी
कोरबा जिले के उप संचालक, खनिज एसएस नाग का कहना है कि संबंधित इलाके में कुछ किसानों को जमीन में खुदाई की अनुमति दी गई है, वही बड़ी संख्या में किसानों ने अनुमति के लिए आवेदन लगा रखा है। अनुमति देने से पहले इलाके के तहसीलदार से रिपोर्ट मंगाई जाती है। वहीं इस खुदाई से पेड़ों को हो रहे नुकसान के बारे में उनका कहना था कि इसका जिम्मा वन और राजस्व विभाग का है। ठेकेदार अगर किसान की जमीन से मिटटी या मुरुम की खुदाई कर रहा है तो उसे 50 रूपये प्रति क्यूबिक मीटर रॉयल्टी खनिज विभाग को देनी होती है।
उधर पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के SDM कौशल प्रसाद तेंडुलकर का कहना है कि राजस्व की जमीन में अवैध तरीके से खुदाई की जानकारी फ़िलहाल उन्हें नहीं मिली है। रहा सवाल खुदाई का, तो इसकी अनुमति खनिज विभाग देता है। उन्होंने इस मामले में वस्तुस्थिति की जानकारी लेने की बात कही है।
कुल मिलाकर सभी विभाग एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी थोप रहे हैं और किसी भी इस बात की चिंता नहीं है कि अंधाधुंध खुदाई से पेड़ों, बिजली टॉवर, सड़कों, जमीन के स्वरुप तथा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को किस तरह रोका जाये। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस खबर के प्रकाश में आने के बाद संबंधित विभागों के अधिकारी ईमानदारी से अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।