कोरबा।
हाथी उत्पात को रोकने में वन विभाग सफल नहीं हो पा रहा है। इसके लिए नए-नए उपाय किए जा रहे हैं। हाथी अब 10 सालों के भीतर धान खाना सीख गए हैं। इसकी वजह से गांवों में घुसकर मकानों को तोड़ देते हैं। इसके लिए वन विभाग अब हाथियों को खिलाने के लिए धान खरीदी करने की तैयारी में है।
राज्य सहकारी विपणन संघ ने पीसीसीएफ वन्य प्राणी के पत्र के आधार पर पूरे प्रदेश के 9 वन मंडलों के लिए वितरण स्थल तय किया है। जिसमें कोरबा के लिए बिलासपुर जिले का संग्रहण केन्द्र सेमरताल को बनाया गया है। जंगल में अस्थाई मकान बनाकर धान को वहीं रखेंगे, ताकि हाथी धान खाने के लिए गांव का रुख न करें। हाथियों को खदेड़ने के लिए पहले हुल्ला पार्टी का प्रयोग किया गया। इसके बाद पाॅवर फेंसिंग भी की गई।
प्रशिक्षित करने के साथ ही कॉलर आईडी लगाने पर भी काम हुआ। लेकिन, हाथियों का उत्पात नहीं रुका। जंगल में घास की कमी होने पर हाथी अब धान की फसल को खाते हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी वजह से वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने धान खरीदी के लिए राज्य सहकारी विपणन संघ को पत्र लिखा था। इसके जवाब में विपणन संघ के प्रबंध संचालक ने वितरण के लिए स्थल निर्धारित करते हुए जवाब भेजा है। हालांकि, यह पहला मामला होगा जब हाथियोें को खिलाने के लिए धान की खरीदी की तैयारी की जा रही है।
इन वन मंडलों में धान खिलाने की तैयारी
मार्कफेड ने धमतरी, कांकेर, बालोद, गरियाबंद के लिए संग्रहण केन्द्र जौंदा, जिला रायपुर, महासमुंद के लिए संग्रहण केन्द्र पिथोरा, जिला महासमुंद, सरगुजा रायगढ़ के लिए संग्रहण केन्द्र मोपका, बिलासपुर, कोरबा के लिए सेमरतला व सूरजपुर के लिए संग्रहण केन्द्र देवनगर व लोधिमा, सूरजपुर तय किया है।
21 साल में हाथियों ने 500 से अधिक मकानों को तोड़ा
वन मंडल कोरबा में ही 5 साल में हाथियों ने 500 से अधिक मकानों को क्षतिग्रस्त किया है। इसके एवज में 35 लाख से अधिक का मुआवजा भुगतान किया गया है। साथ ही 12 हजार हेक्टेयर की फसल को हाथी नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसके एवज में 11 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया जा चुका है।
कटघोरा वन मंडल में अब हाथियों का अधिक उत्पात
कटघोरा वन मंडल में हाथी दो साल से अधिक समय से घूम रहे हैं। वन परिक्षेत्र केंदई, पसान व ऐतमानगर मेें ही घूमते रहते हैं। हाथियों की संख्या 45 है। हाथी रोज मकानों को तोड़ने के साथ ही धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कोरबा में अब एक दो हाथी ही रहते हैं जो एक दो दिन बाद धरमजयगढ़ लौट जाते हैं।
हाथी गांवों न घुसें इसके लिए किया जा रहा प्रयास : डीएफओ
वन मंडल कोरबा की डीएफओ प्रियंका पाण्डेय का कहना है कि जंगल में आर्टिफिशियल हट बनाकर धान रखने की योजना पर विचार किया जा रहा है। हाथी धान खाने के लिए मकानों को तोड़ते हैं। इससे गांवों में हाथी नहीं आएंगे। अभी कटघोरा में उत्पात अधिक है। कोरबा में भी दंतैल हाथी उत्पात मचा रहा है।