MP के सरकारी कॉलेजों में सिर्फ 2118 सीट, प्राइवेट में 1 करोड़ फीस; जानिए यूक्रेन में पढ़ाई का A to Z
रूस हमले के बाद मध्यप्रदेश के कई स्टूडेंट यूक्रेन में फंस गए हैं। इसके चलते उनके परिवार वाले चिंता में डूबे हुए हैं। ये स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। मध्यप्रदेश में मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच रूस और यूक्रेन की खूब चर्चा होती है। वजह, दोनों देशों में कई मेडिकल यूनिवर्सिटी के दरवाजे भारतीय छात्रों के लिए खुले हैं। यहां हर साल हजारों भारतीय छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा होता। ऐसा क्यों है, आइए समझते हैं पूरा गणित…
रीवा के प्रज्ज्वल तिवारी यूक्रेन में टेरनोपिल यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहे हैं। उनका दूसरा साल है। युद्ध के चलते जैसे-तैसे कजाकिस्तान के रास्ते वो गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे। भारत के बजाय यूक्रेन में पढ़ाई करने की वजह बताते हुए प्रज्ज्वल कहते हैं कि मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में प्राइवेट कॉलेज में MBBS की फीस करीब 1 करोड़ रुपए है। यूक्रेन की टेरनोपिल यूनिवर्सिटी में 20 लाख रुपए फीस है, यानी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई भारत से 80% सस्ती है।
वे बताते हैं कि मध्यप्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 2118 सीटें हैं। ऐसे में स्टूडेंट के पास प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेने का ही विकल्प बचता है, जहां फीस सरकारी कॉलेज से कई गुना ज्यादा है। ऐसे में स्टूडेंट विदेश में पढ़ाई करने का फैसला करते हैं।
इंदौर की ‘परम एजुकेशन’ संस्था मध्यप्रदेश के स्टूडेंट्स को विदेशों में एडमिशन में सहयोग करती है। इस संस्था के संचालक आशीष धाकड़ बताते हैं कि प्रदेश से हर साल करीब 600 से 700 स्टूडेंट रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, फिलिपींस और किर्गिस्तान सहित 12 देशों में MBBS करने के लिए जाते हैं।
16 लाख स्टूडेंट्स पर 77 हजार सीटें
धाकड़ बताते हैं कि नीट 2021 के MBBS (UG) एग्जाम में 16 लाख 19 हजार स्टूडेंट शामिल हुए थे, लेकिन सीटें मात्र 77 हजार थीं। ऐसे में डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए स्टूडेंट को विदेशों का रुख करना पड़ रहा है। विदेश में पढ़ाई की सबसे बड़ी वजह फीस है। सरकारी कॉलेजों में मेडिकल की फीस 4 से 5 लाख रुपए है, लेकिन यहां सीटें सीमित होने के कारण हजारों स्टूडेंट को प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाई का विकल्प बचता है। इनकी फीस कई गुना ज्यादा है।
यूक्रेन जैसे देशों से मिली डिग्री भारत में मान्य
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) देना होता है। इसे पास करने के बाद ही भारत में डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलता है और प्रैक्टिस की जा सकती है। 300 नंबर की इस परीक्षा को पास करने के लिए 150 नंबर लाने पड़ते हैं।
केंद्र सरकार ने अगले साल यानी 2023 से देश में डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टर के लिए भी इस एग्जाम को क्लीयर करना अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में चाहे विदेशी डिग्री हो या फिर देश के कॉलेज की डिग्री, दोनों में कोई फर्क नहीं रह गया है। केंद्र के इस नियम के कारण भी स्टूडेंट्स अब विदेश में पढ़ाई को और अधिक प्राथमिकता देंगे।
अन्य देशों की तुलना में भी यूक्रेन सस्ता
धाकड़ बताते हैं – जो बच्चे दो लाख रुपए सालाना खर्च कर BDS, B-Pharma और B.Sc करने की सोचते हैं, हम उन्हें यूक्रेन जैसे देशों से डॉक्टर बनाने का काम करते हैं। यूक्रेन में हम बच्चों को भारतीय भोजन, हॉस्टल जैसी फैसिलिटी भी देते हैं। भारत में इतने कम पैसे में डॉक्टर बनना संभव नहीं है। मेडिकल की पढ़ाई के खर्च के लिहाज से यूक्रेन दुनिया के कई देशों से काफी सस्ता है। यूक्रेन की मेडिकल यूनिवर्सिटी ना सिर्फ भारत बल्कि दूसरे कई देशों के छात्रों को भी अपनी तरफ खींच रही हैं। मेडिकल की पढ़ाई के लिए हर साल चार से पांच हजार बच्चे यूक्रेन जाते हैं।
यूक्रेन में 3 तरह की यूनिवर्सिटी
यूक्रेन में तीन तरह की करीब 20 यूनिवर्सिटी हैं। इनमें नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी को यूक्रेन की केंद्र सरकार कंट्रोल करती है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ मेडिकल कोर्स ही होते हैं। इस तरह की चार से ज्यादा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन में हैं, जो मेडिकल कमीशन ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी, नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग है। इसमें मेडिकल के अलावा दूसरे कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं। इसमें मेडिकल की पढ़ाई के लिए सिर्फ एक ब्रांच होती है।
इनके अलावा, यूक्रेन में राज्यों की अपनी सरकारी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी भी है। इन्हें राज्य कंट्रोल करते हैं। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाने वाले बच्चों की पहली पसंद नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रहती है। यूक्रेन में मेडिकल के दाखिले के लिए ये ध्यान रखना जरूरी होता है कि वो यूनिवर्सिटी भारतीय मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त हो।