नई दिल्ली. पुणे के एक सिविल कोर्ट ने पति से गुजारा भत्ता मांगने की एक महिला की गुहार को सिरे से खारिज कर दिया है. कोर्ट ने 29 साल की महिला की मांग को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि महिला एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वह अपना भरण-पोषण करने में पूरी तरह सक्षम है. महिला ने अलग रह रहे पति से भरण पोषण के लिए प्रति महीना 25 हजार रुपये देने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि उसका पति सीआरपीएफ में काम करता है, इसलिए उनसे हर महीने 25 हजार रुपये दिलाए जाएं. महिला ने पति से तलाक की याचिका भी दायर कर रखी है.

महिला पुणे में और पति दिल्ली में
पुणे में सिविल जज माधवी खानवे ने अपने आदेश में कहा कि महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और अपने जीवन-यापन को पूरा करने के लिए उसके पास आय के पर्याप्त संसाधन है. महिला ने पति से मुआवजे की मांग की थी. इसलिए महिला अपने पति से अंतरिम गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं रखती. दरअसल, महिला ने 2017 में छिंदवाड़ा में शादी की थी. उस समय भी महिला पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थीं जबकि उसका पति दिल्ली में पोस्टेड थे. महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उस समय ही यह तय हुआ था कि दोनों अपने-अपने कार्यस्थल पर रहेंगे.

एकमुश्त 25 लाख रुपये की मांग
महिला ने आरोप लगाया है कि शादी के दूसरे ही दिन से ससुराल वालों ने दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. महिला ने याचिका में यह भी कहा कि इसके बाद पति के पिता ने उसे अपनी मां के घर वापस चली जाने के लिए कहा. महिला ने कथित तौर पर ससुराल वालों पर उपवास रखने के लिए भी मजबूर करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इशसे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ा. इसके अलावा उन लोगों पर गाली-गलौज का भी महिला ने आरोप लगाया. महिला ने अपनी याचिका में स्थायी रखरखाव के लिए एकमुश्त 25 लाख रुपये की मांग की थी. उसने दावा किया कि वह परिवार में एकमात्र कमाने वाली सदस्य हैं.