जानिए शुभ मुहूर्त… कब नहीं बांधें राखी
बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा।
आइये जानतें हैं शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57:51 बजे से प्रारम्भ होकर दोपहर 12:49:52 तक रहेगा ।
अमृत काल सुबह 9:34 से 11:07 तक रहेगा ।
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:33 से प्रारम्भ होकर 5:21 तक रहेगा ।
शुभ संयोग : प्रात: 6: 15 बजे से प्रात: १०: ३४ बजे तक शोभन योग रहेगा। यह शुभ योग है। इसमें सभी तरह के मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। शोभन योग काल- 21 अगस्त
धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र शाम को करीब 7:39 बजे तक रहेगा। इसका स्वामी ग्रह मंगल है। इस दौरान शुभ मुहूर्त में राखी बंधवानी चाहिए। धनिष्ठा काल- 21 अगस्त ।
राहु काल जो 17:16:31 से 18:54:05 तक, दुष्टमुहूर्त : 17:10:01 से 18:02:03, भद्रा काल : भद्रा काल 23 अगस्त, सुबह 05:34 से 06:12 तक। उल्लेखनीय हैं की राखी भद्राकाल और राहुकाल में निषेध है क्योंकि शुभ कार्य ऐसे समय में वर्जित है।
पौराणिक काल के रक्षाबंधन :-
मणिबंध : प्राचीनकाल में रक्षाबंधन मणिबंध के नाम से जाना जाता था। हाथों की कलाई मणिबंध कहलाती थी। वैदिक काल में मांगलिक कार्यों के दौरान एक सूत का धागा बांध कर संकल्प लिया जाता था। इसे मणिंबध कहते थे।
मौली : यह मणिबंध का अगला स्वरुप है. सूत के तीन सफेद धागों को हल्दी में रंगा जाता था, बाद में तीनों धागे लाल, पीले और हरे रंग के हो गए, जिसमें नीला और सफेद रंग भी होता है। तीन रंग त्रिदेव और 5 रंग पंचदेव का प्रतिक माना गया। इसके बाद कलावा प्रचलन में आया और फिर रक्षा सूत्र।
रक्षा सूत्र के कारण ही राखी का प्रचलन हुआ। प्रचीनकाल में इस पवित्र त्योहार को अलग-अलग रूप में मनाया जाता था। पहले सूत का धागा, फिर नाड़ा बांधने का प्रचलन, फिर नाड़े जैसा एक फुंदा बांधने का प्रचलन और फिर पक्के धागे पर सुंदर फुलों को चिपकाया जाने लगा जो राखी कहलाई। वर्तमान में राखी कच्चे सूत, रंगीन कलावे, रेशमी धागे की हो सकती है।