इंदौर Remdesivir Crisis Indore। एक तरफ कोरोना महामारी विकराल रूप ले चुकी है और दूसरी तरफ सरकार के हाथ से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। शहर में दो दिन से रेमडेसिविर का स्टाक नहीं आया है। सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की हालत बद से बदतर हो चुकी है, लेकिन रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाना तो दूर दर्शन को भी नहीं मिल रहे हैं। इंदौर और उज्जैन जैसे संभाग मुख्यालयों के अलावा दोनों संभागाें के सभी जिलों में यही हालात हैं। कंपनियों की अोर से स्टाकिस्ट के नाम से भेजे जाने वाले इंजेक्शन सीधे प्रशासन के कब्जे में पहुंच रहे हैं, लेकिन हर अस्पताल की जरूरत इतनी है कि इसकी पूर्ति मुश्किल ही नहीं, अब असंभव हो गया है। गंभीर मरीज बढ़ते जा रहे हैं और इसी के साथ रेमडेसिविर और आक्सीजन की जरूरत भी उसी अनुपात में बढ़ रही है।

इंदौर में निजी हो या सरकारी अस्पताल सबको पता है कि बाजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। जो भी स्टाक आ रहा है, वह प्रशासन की निगरानी में सीधे अस्पतालों को ही बंट रहा है। फिर भी अस्पताल से डाक्टरों द्वारा मरीजों के अटेंडरों को पर्ची पर लिखकर दिया जा रहा है कि रेमेडेसिविर इंजेक्शन लेकर आओ। ऐसे हालात में मरीज की जान पर बन रही है। न अस्पताल में यह दवा है और न बाजार में दवा दुकानों पर।

जिम्मेदार अफसरों से संपर्क करना आम मरीज के लिए असंभव-सा है। जो कर रहे हैं, उनको भी अफसर कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। जवाब से दूर की बात 99 फीसद यही हो रहा है कि जरूरतमंद मरीजों के स्वजन का अधिकारियों से फोन पर बात करना भी दूभर हो गया है। बताया जाता है कि इंदाैर से लेकर उज्जैन, धार, खरगोन, खंडवा, बड़वानी, देवास, शाजापुर, झाबुआ कहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं है।

इंदौर जिले में इस समय कोरोना के करीब साढ़े 12 हजार एक्टिव केस हैं। इनमें से करीब आधे मरीजों की स्थिति गंभीर है और उनको आक्सीजन की जरूरत है, लेकिन आक्सीजन का इंतजाम करते-करते अस्पताल भी हांफने लगे हैं। आक्सीजन प्लांट सीमित हैं और उनकी क्षमताएं भी सीमित हैं, जबकि गंभीर मरीजों की तादाद देखते हुए जरूरत दिन पर दिन सीमाएं तोड़ रही हैं।