नईदिल्ली I चिकन बिरयानी, चिकन मोमोज, चिकन कबाब, मुर्गा भात, नॉन वेज लवर्स के मुह में ये सुनकर अब तक पानी आ गया होगा। दुनियाभर में लोग चिकन के दीवाने हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर चिकन को इंसानों ने खाना कब शुरू किया? दरअसल, मुर्गे को खाने से पहले इंसानों ने उसे पालना शुरू किया था। लेकिन सवाल ये भी है कि आखिर इन्हें पालना कब शुरू किया और क्यों? जाहिर है इंसानों को पहले मुर्गे का स्वाद नहीं पता था, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि मुर्गा इंसानो के लिए एक पसंदीदा व्यंजन बन गया। इसी बात की तह तक जाने के लिए यूरोप के वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के कई देशों में रिसर्च की।

घरेलू तौर पर सबसे ज्यादा पाला जाता मुर्गा

पहले हुई स्टडी में ये बात सामने आई कि मुर्गे को पालने की परंपरा 10 हजार साल पहले एशिया में खासतौर से चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया या भारत में शुरू हुई थी। बाद में ये कहा गया कि यूरोप में 7000 साल पहले चिकन खाना शुरू किया गया। दरअसल, मुर्गा इकलौता ऐसे जीव है, जिसे घरेलू तौर पर सबसे ज्यादा पाला जाता है, चाहे खाने के लिए हो या अंडों के लिए।

वहीं यूरोपियन रिसर्चर्स ने इस बात के पुख्ता सबूत दिए हैं कि मुर्गे को घरेलू तौर पर पालने की शुरुआत इंसानों ने 1500 ईसा पूर्व के आसपास यानी आज से करीब 3522 साल पहले शुरू की थी। रिसर्च में मिले सबूत के अनुसार इन्हें सबसे पहले लाओस (Laos), कंबोडिया (Cambodia), वियतनाम (Vietnam), म्यांमार (Myanmar) और थाईलैंड (Thailand) में पाला गया था।

किया मुर्गों के अवशेषों का अध्ययन
वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी के लिए 89 देशों के 600 आर्कियोलॉजिकल स्थानों की जांच की,.उन्होंने वहां से मिले मुर्गों के अवशेषों का अध्ययन शुरू किया। ऐसे में मध्य थाईलैंड के वाट बान नॉन इलाके में मिली सबसे पुराने घरेलू मुर्गों की हड्डियां नियोलिथिक काल (Neolithic Era) यानी 1250 से 1650 ईसा पूर्व के बीच की हैं।

इससे ये साबित होता है कि मुर्गों को पालने की कहानी आधुनिक दुनिया से ज्यादा पुरानी नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि 10 हजार साल पहले वाली बात गलत है। अब मुर्गों और इंसानों के बीच बने संबंध के बारे में बात करें तो असल में इसकी वजह चावल की खेती है।

मुर्गों और इंसानों के बीच कैसे बने संबंध? 
आम तौर पर लोग चिकन को चावल के साथ ही खाना अधिक पसंद करते हैं। मुर्गा-भात, चिकन बिरयानी जैसे कई व्यंजन लोगों को खूब भाते हैं। इसके अलावा एक संबंध ये भी है कि जैसे-जैसे चावल की खेती बढ़ती गई, जंगलों से रेड जंगल फाउल (Red Junglefowl) इंसानों के करीब आने लगे।

घरेलू मुर्गों में बदल गए रेड जंगल फाउल
दरअसल, रेड जंगल फाउल मुर्गों जैसे दिखने वाला एक पक्षी हैं, जो असल में चावल की चोरी करने के लिए आते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनके और इंसानों के बीच अच्छे संबंध बन गए। इंसानों ने रेड जंगल फाउल की दो प्रजातियों को पालतू बनाया, जो बाद में घरेलू मुर्गों में बदल गए।

हालांकि, अब तक लोगों के मन में मुर्गों और इंसानों के संबंधों को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं थीं। वहीं अब इस स्टडी के जरिए लोगों को कई सवालों का जवाब मिल गया है।