वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका समेत दुनिया के अन्‍य विकसित मुल्‍कों ने चीन को घेरने का रोडमैप तैयार कर लिया है। जी-7 की बैठक में विश्‍वभर में चीन के बढ़ते प्रभुत्‍व को सीमित करने के लिए सबसे ज्‍यादा चर्चा हुई। इस बैठक में जी-7 के सभी मुल्‍क इस बात पर राजी थे कि पश्चिमी देशों को चीन के बारे में कुछ सोचना चाहिए और उसका काउंटर तैयार करना चाहिए। आखिर क्‍या है अमेरिका की चीन के खिलाफ ब्‍यूह रचना। क्‍या है जी-7।

चीन के खिलाफ एकजुट हुए विकसित देश 

  • चीन को कड़ी टक्‍क्‍र देने के लिए जी-7 नेताओं ने एक रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत निम्‍न और मध्‍यम आय वाले देशों का समर्थन करने की योजना अपनाई गई है। इसके तहत जी-7 देश इन्‍हें बेहतर बुनियादी ढांचा खड़ा करने में मदद करेंगे।
  • चीन की बेल्‍ट एंड रोड परियोजना ने कई देशों में ट्रेनों, सड़कों और बंदरगाहों को सुधारने के लिए आर्थिक मदद की है। इस बात को लेकर चीन की निंदा भी होती रही है कि उसने कुछ देशों को कर्ज में दबाने के बाद उन पर हुकूमत जमाने की कोशिश की है।
  • इस बैठक में यह तर्क दिया गया कि पश्चिमी देशों के मूल्‍य ज्‍यादा प्रबल हैं। सभी देशों के प्रतिनिधियों ने एक सुर में कहा कि चीन का निवेश दुनिया के अधिकांश देशों में बहुत बड़ी कीमत के साथ आया है। चीन शिनजियांग के अल्‍पसंख्‍यक वीगर मुस्लिमों से जबरन श्रम करवा रहा है। चीन ने निवेश के निष्‍पक्ष प्रतिस्‍पर्धा को बाधित किया है।
  • अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि चीन की बढ़ती शक्ति और उसके प्रभुत्‍व का सामना करने के लिए नए सिरे से दृढ़ संकल्‍प होने की जरूरत है। अमेरिका ने खासकर चीन की तथाकथित ऋण कूटनीति की निंदा की है। उन्‍होंने कहा कि ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन को श्रम मुक्‍त होना चाहिए। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह सिर्फ चीन का सामना करने के बारे में नहीं है। यह दुनिया के लिए एक सकारात्‍मक विकल्‍प पेश करने के बारे में है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जी-7 देशों के अन्य नेताओं के अनुसार इस परियोजना का नाम ‘बिल्ड बैक बेटर व‌र्ल्ड’ होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस कार्यालय के अनुसार इस अभियान के तहत पारदर्शी तरीके और आपसी साझेदारी से आधारभूत ढांचे का विकास किया जाएगा। इसके तहत विकासशील देशों में 2035 तक 40 ट्रिलियन डॉलर की रकम खर्च की जाएगी।

वीगर मुसलमानों को लेकर चीन पर कसा शिकंजा

इस वर्ष के प्रारंभ में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन और कनाडा ने चीन पर प्रतिबंध लगाए थे। इसमें प्रमुख रूप से यात्रा-प्रतिबंध और संपत्ति फ्रीज करना शामिल है। इसके अतिरिक्‍त इन देशों ने शिनजियांग में वरिष्ठ अधिकारियों को भी लक्षित किया जिन पर वीगर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप थे। गौरतलब है कि चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में कथित तौर पर वीगर मुस्लिमों को बंधक करके, कैंप में रखा गया है। चीन हुकूमत उनसे जबरन मजदूरी करवाता है। चीन पर यह भी आरोप लगे हैं कि वो वीगर मुस्लिम महिलाओं की नसबंदी कर रहा है। वीगर बच्चों को उनके परिवारों से अलग किया जा रहा है।

जी-7 बैठक का आज होगा समापन

जी-7 में दुनिया के साथ सबसे धनी लोकतांत्रिक देश सम्मिलित है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान का नाम है। ब्रिटेन इस बार जी-7 सम्‍मेलन का मेजबान है। इन दिनों ब्रिटेन कारबिस बे रिजॉर्ट में तीन दिवसीय सम्‍मेलन आयोजित किया है।