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नई दिल्ली. ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामुदायिक प्रसार की वजह से भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. इस बीच, ओमिक्रॉन के खोजे गए नए सब-वेरिएंट जिसे बीए.2 कहा जाता है, यूरोपीय और एशियाई देशों में एक घातक वायरस स्ट्रेन के तौर पर उभरा है, जिसने भविष्य में महामारी की लहरों को लेकर डर का माहौल पैदा कर दिया है.

यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इस महीने के पहले दस दिनों में ब्रिटेन में 426 मामलों की पहचान की है और यह संकेत दिया है कि करीब 40 अन्य देशों में भी नवीनतम संस्करण बीए.2 का पता चला है. इतना ही नहीं, भारत, डेनमार्क और स्वीडन सहित कुछ देशों में हाल के अधिकतर कोविड-19 मामलों के लिए यही बीए.2 वेरिएंट जिम्मेदार है.

कोलकाता के 80% नमूनों में पाया गया नया सब-वेरिएंट BA.2
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि कोलकाता में आने वाले 80 प्रतिशत नमूनों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के उप-वंश BA.2 की पहचान की गई है. 22 से 28 दिसंबर के बीच जीनोम अनुक्रमण के लिए नमूने भेजे गए थे और उनमें से लगभग 80 प्रतिशत बीए.2 पॉजिटिव पाए गए, जिनका सीटी स्तर 30 से नीचे था, जो उच्च वायरल भारको दिखाता है.

इससे पहले दिसंबर में सरकार ने 30 से कम सीटी वैल्यू वाले सभी पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने का फैसला किया था ताकि ओमिक्रॉन के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पता लगाया जा सके. हालांकि, एक हफ्ते बाद ही निर्णय को उलट दिया गया क्योंकि यह जाहिर हो गया कि तब तक ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका था.

रविवाार को, इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम ने आधिकारिक तौर पर अपने ताजा बुलेटिन में कहा है कि भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट सामुदायिक संक्रमण के स्तर पर है और जिन महानगरों में कोविड-19 मामलों में तेज वृद्धि देखी जा रही है, वहां यह हावी हो गया है.

केंद्र ने कहा, भारत में BA.2 के फैलने का कोई सबूत नहीं
इस बीच, केंद्र ने कहा है कि सब-वेरिएंट BA.2 की मौजूदगी मिली है और इसलिए एस जीन ड्रॉपआउट आधारित स्क्रीनिंग के दौरान इस बात की बहुत अधिक आशंका है कि संक्रमण का पता न चले.” वायरस के जेनेटिक बदलाव से बना ‘एस-जीन’ ओमिक्रॉन स्वरूप के जैसा ही है. बुलेटिन में कहा गया है, “हाल में सामने आए बी.1.640.2 वंश की निगरानी की जा रही है. इसके तेजी से फैलने का कोई सबूत नहीं है. प्रतिरक्षा को इसके भेदने की आशंका है, लेकिन फिलहाल यह ‘चिंताजनक’ स्वरूप नहीं है. अब तक, भारत में ऐसे किसी भी मामले का पता नहीं चला है.”

ओमिकॉन का ‘चालाक वेरिएंट’
BA.2 स्ट्रेन जिसे आमतौर पर ‘चालाक स्वरूप’ के रूप में जाना जाता है, का पता सिर्फ जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से लगाया जा सकता है और यह ओमिक्रॉन वेरिएंट के उप-वंश में से एक का निर्माण करता है जिसे अब तीन उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है, अर्थात् BA.1, BA.2, और BA.3

तेजी से फैलता है BA.2, लेकिन…
जबकि BA.2 को अभी तक चिंता का एक प्रकार नहीं बताया गया है, फ्रांसीसी महामारी विज्ञानी एंटोनी फ्लैहॉल्ट ने एएफपी को बताया कि वैज्ञानिक तेजी से नए सब-वेरिएंट की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन फिर भी देशों को इसके खिलाफ सतर्क रहना होगा. उन्होंने कहा, “फ्रांस ने जनवरी के मध्य में मामलों के बढ़ने की उम्मीद की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और शायद यह इस सब-वेरिएंट के कारण है, जो BA.1 की तुलना में बहुत अधिक तेजी से फैलता है, पर अधिक घातक नहीं लगता.”

नए सब-वेरिएंट पर वैक्सीन का कितना असर
हालांकि लंदन के इंपीरियल कॉलेज में वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने कहा, “भारत और डेनमार्क के बहुत शुरुआती अवलोकन बताते हैं कि बीए.1 की तुलना में गंभीरता को लेकर बीए.2 में कोई खास अंतर नहीं है.” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि नए खोजे गए वेरिएंट के मद्देनजर मौजूदा वैक्सीन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने की संभावना नहीं है.

उन्होंने पाया कि बीए.1 और बीए.2 के खिलाफ टीके के असर में न्यूनतम अंतर होने की गुंजाइश है. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी महसूस किया कि नए सब-वेरिएंट में इतनी क्षमता नहीं कि वो ओमिक्रॉन की दूसरी लहर की वजह बन सके.