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जहर के कारोबारी खेल पर कार्रवाई नहीं होने से पान मसाला गुटखा कारोबारियों के हौसले बुलंद है

लोगों को बेचे जा रहे जहरीले पदार्थो को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार किए जाने की आवश्यकता है।

रायपुर छत्तीसगढ़ : प्रदेश में 39.1 प्रतिशत आबादी तंबाकू और उससे बने उत्पादों का सेवन करती है। देश के टोबेको टेस्टिंग लेबोरेट्री की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है,

वर्ष 2016-17 में हुए सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 40 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग थे जो राष्ट्रीय औसत से 11 प्रतिशत अधिक की है।
उसके पूर्व 2009 के आंकड़े से भले ही कम की आंकी गई हो, लेकिन अब के सर्वे को देखा जाए तो यहऔर भी चौंकाने वाला होता दिख रहा है,
उन उत्पादों को बाजार में बेचने से प्रतिबंधित करने के बावजूद भी स्थिति में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। क्यों कि पान मसाले के नाम पर
निकोटिन को बाजार में लोगों को बेचा जाता है यानि वे सब मिलकर पीढ़ियों को नशे का आदि बना रहे है,
हर गांव, कस्बे में यह खुलेआम और आसानी से मिल रहा है।

जानकारों के मुताबिक प्रदेश में 100 करोड़ से अधिक का गुटखा, पाउच और पान मसाला का कारोबार है। कई बड़े कंपनियों के उत्पाद भी यहां उपलब्ध है।

उधर, ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वै के अनुसार बच्चों और युवाओं में तम्बाकू जनीत उत्पादों को खाने में लोगों की रूचि अत्यधिक बढ़ी है।
जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य गत परेशानी भी भस्मासुर की भांति विकराल रूप धारण कर लिया है।
यही कारण है कि करोना काल में बुजूर्ग के तुलना में युवा वर्ग के मृत्यु दर संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है, ऐसे में 15-17 वर्ष की उम्र से, 35.4 प्रतिशत ने 18-19 वर्ष के लोगों को उन उत्पादों के सेवन से बचाव करने हेतु रोक लगाने की जरूरत है।

राज्य सरकार पर बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक सीमित है। राज्य स्वास्थ्य विभाग और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कार्यवाही करने से क्यों पीछे हट रही है,
कार्रवाई के लिए शिकायतों का इंतजार कर रही है ?

प्रदेश के नोडल अधिकारी,डॉ. कमलेश जैन, तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग ने कहा है,
कोटपा एक्ट के प्रावधानों के तहत की जा रही कार्रवाई और जागरुकता अभियानों से तंबाकू और उससे बने उत्पादों को इस्तेमाल करने वालों में कमी आई है। मगर, इस दिशा में और प्रयास की जरुरत है।

स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को टोबेको फ्री करने का अभियान भी चलाया जा रहा है, परन्तु उक्त कथनों पर कोई खास प्रभावी कदम उठाए जा रहे कार्य-योजना नजर नहीं आ रहा है।

सबसे बड़े सवाल – पान मसालों मे के नाम पर निकोटिन मिलाकर परोसने वालों पर कार्रवाई, पान मसालों की नियमित जांच बंद है, इसलिए इस कारोबार पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है,   कोटपा एक्ट के प्रावधानों के तहत की जा रही कार्रवाई और जागरुकता अभियानों से तंबाकू और उससे बने उत्पादों को इस्तेमाल करने वालों में थोड़ी कमी आई है। मगर, इस दिशा में और प्रयास की जरुरत है।