किसान हिंसाः आठ इंस्पेक्टर करेंगे नौ मुकदमों की जांच, एसआईटी का गठन 

नई दिल्ली (एजेंसी)/ किसान हिंसा से जुड़े नौ मामलों की जांच अपराध शाखा के आठ इंस्पेक्टर को सौंपी गई है। एक इंस्पेक्टर को दो केस सौंपे गए हैं। अपराध शाखा में नौ केसों की जांच के लिए स्पेशल इंस्वेस्टीगेशन टीम(एसआईटी) का गठन किया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त बीके सिंह इस एसआईटी के प्रमुख हैं।
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार 26 जनवरी को हुई हिंसा की बृहस्पतिवार शाम तक कुछ 33 एफआईआर हुई थी। इनमें से नौ एफआइआर अपराध शाखा को सौंपी गई हैं। किसान ङ्क्षहसा की साजिश व अपराधिक षडयंत्र  की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल करेगी। इसमें यूएपीए व देशद्रोह की धारा भी लगाई गई हैं। अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि अपराध शाखा शाखा को सौंपे गए नौ केसों की जांच अपराध शाखा के आठ इंस्पेक्टर को सौंपी गई है।
शाखा के स्टार-2 में तैनात इंस्पेक्टर राजीव को गाजीपुर केस, स्टार-2 में ही तैनात इंस्पेक्टर संजय सिंहा को गाजीपुर के दो केस, शाखा की एसओएस-1 में तैनात इंस्पेक्टर पंकज मलिक को आउटर-नार्थ जिले के समयपुर बादली केस को जांच सौंपी गई है।
लालकिले मामले की जांच(कोतवाली) केस की जांच एसआईयू-1 में तैनात इंस्पेक्टर पंकज अरोड़ा, आईटीओ(आईपी एस्टेट) केस की जांच नारकोटिक्स में तैनात इंस्पेक्टर राममनोहर, नजफगढ़ केस की जांच स्टार-1 में तैनात इंस्पेक्टर गगन भास्कर, बाबा हरिदास नगर केस की जांच द्वारका स्थित आईजीआईएस में तैनात इंस्पेक्टर यशपाल और बाहरी जिले के नांगलोई केस की जांच आईजीआईएस में तैनात इंस्पेक्टर पीसी खंडूरी को सौंपी गई है।
अपराध शाखा ने जांच ने जांच शुरू –
नौ केसों में से कुछ केसों की जांच अपराध शाखा ने शुरू कर दी है। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिन केसों की फाइल अपराध शाखा को स्थानीय थाना पुलिस से मिल गई है उन केसों की जांच शुरू कर दी गई है। स्थानीय थाना पुलिस ने आईटीओ समेत कई केसों की फाइल शुक्रवार दोपहर तक अपराध शाखा को नहीं सौंपी थी। हालांकि लालकिले व गाजीपुर वाले मामले की जांच अपराध शाखा को मिल गई है।
अपराध शाखा को शुरू से ही लगा दिया गया था-
शुरू से ही ये लग रहा था कि किसान ङ्क्षहसा की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा करेगी। इस कारण अपराध शाखा के अधिकारियों को शुरू में ही स्थानीय थाना पुलिस के साथ लगा दिया गया था। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर केसों में एफआईआर अपराध शाखा के अधिकारियों ने ही तहरीर लिखवाकर दर्ज करवाई है।