कुलगाम I कुलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने शिक्षिका रजनी बाला की गोली मार कर हत्या कर दी। शिक्षिका रजनी सांबा जिले के नानके चक की रहने वाली थीं और पिछले करीब पंद्रह सालों से कश्मीर संभाग में कार्यरत थीं। उनके पति राजकुमार भी शिक्षक हैं और कश्मीर संभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। टीचर रजनी की 12 साल की एक बेटी भी है, जो अपने माता-पिता के साथ घाटी की वादियों में रह रही थी। लेकिन, अब इस घटना के बाद उस 12 साल की बच्ची की जिंदगी भी बदल चुकी है।
स्कूल परिसर के नजदीक आतंकियों ने किया हमला
हर रोज की तरह रजनी बाला बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल के लिए रवाना हुईं। जब वह स्कूल परिसर के नजदीक पहुंचीं तो आतंकियों ने उन पर गोलियां चला दीं। एकाएक रजनी जमीन पर गिर पड़ीं। इसके बाद स्थानीय लोग और स्कूल स्टाफ ने उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं, गोलियों की आवाज सुनकर कई स्कूली बच्चे बेहोश हो गए। सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षाबल के जवान भी मौके पर पहुंचे। इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। वहीं घाटी में जगह-जगह कश्मीरी पंडित टारगेट किलिंग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
सांबा में परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल, बोले- उसका क्या था कसूर
सांबा में उनके परिजनों के बीच जब रजनी बाला की हत्या की खबर पहुंची तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें इस खबर पर पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन, यही सच था। घर में परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। दूर-दूर से रिश्तेदार रजनी के ससूराल में पहुंचे हैं। सभी की जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल है कि वह तो टीचर थी। बच्चों को पढ़ाती थी। उसका क्या कसूर था। क्या बच्चों को शिक्षा देना भी अब गुनाह हो गया है?
दो दिन पहले घर किया था फोन
रजनी के परिजन बताते हैं कि दो दिन पहले ही उनकी फोन पर बात हुई थी। रजनी ने घर वालों को बताया था कि उसने अपने कमरे को शिफ्ट किया है और कुछ सामान पार्सल कर घर के लिए भेजा है। जब उन्होंने कश्मीर में बदले हालातों पर चिंता जताई थी। तो इस पर रजनी ने परिजनों से कहा था, ‘घबराने की जरूरत नहीं है। घाटी में सब ठीक है। हमने आधी उम्र यहां गुजार दी है। अब तक कुछ नहीं हुआ तो आगे क्या ही होगा।’ परिजनों ने कहा कि रजनी को भरोसा था कि शायद उसके साथ ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन आतंकियों ने उसके इस विश्वास को तोड़ दिया।
नए घर में प्रवेश बाकी ही रह गया
परिजनों ने बताया कि रजनी और उनके पति ने हाल ही में सांबा में अपना नया घर बनवाया था। अभी इसका कुछ काम बाकी है। इसमें गृह प्रवेश के लिए वह बहुत उत्सुक थीं, लेकिन वह अब कभी इस घर में लौटकर नहीं आएगी।
सुरक्षा दी गई होती को रजनी आज जिंदा होती’
वहीं, रजनी बाला के ससुर ने कहा कि कश्मीर में हालात बिगड़े हुए हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में सरकार को वहां काम कर रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए। अगर उनकी बहू को सुरक्षा मिली होती तो वह आज जिंदा होती। सरकार को चाहिए कि वह कश्मीर में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दे या उन्हें सुरक्षित स्थान पर ट्रांसफर करे।