दुनिया में कोरोना के दूसरी और कई देशों में तीसरी लहर ने तबाही मचा दी है। भारत में भी इसका प्रकोप साफ तौर पर देखा जा सकता है। आज भी करीब 1.85 लाख नए मामले सामने आए हैं। एक रिसर्च में पता चला है कि आलसी लोगों की कोरोना से मौत की संभावना सबसे अधिक होती है। इसलिए जरूरी है कि इस कठिन समय में आप खुद को फिट रखने और इस महामारी से बचने के लिए नियमित व्यायाम करें।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के इस रिसर्च में करीब 50,000 लोगों को शामिल किया गया। रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना रोगियों में व्यायाम की कमी के कारण अधिक गंभीर लक्षणों और मृत्यु की जोखिम अधिक होती है। इसमें शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी से दो साल पहले तक शारीरिक रूप से निष्क्रिय लोगों के अस्पताल में दाखिल करने की नौबत, अतिरक्त देखभाल की आवश्यक्ता और मरने की संभावना अधिक होती थी।
रिसर्च में यह निष्कर्ष निकला है कि कोरोना महामारी के लिए धूम्रपान, मोटापा या उच्च रक्तचाप जैसे अन्य जोखिम कारकों की तुलना में शारीरिक निष्क्रियता सबसे मजबूत जोखिम कारक है। आपको बता दें कि इससे पहले तक बढ़ती उम्र, मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग से ग्रस्त लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक था। हालांकि अब तक एक गतिहीन जीवन शैली को इसमें शामिल नहीं किया गया था।
यह देखने के लिए कि क्या व्यायाम की कमी से गंभीर संक्रमण, अस्पताल में भर्ती होने, गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में प्रवेश करने और मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है, शोधकर्ताओं ने जनवरी और अक्टूबर 2020 के बीच कोरोना से संक्रमित संयुक्त राज्य में 48,440 वयस्कों की जानकारी इसमें शामिल किया। रोगियों की औसत आयु 47 थी और पांच में से तीन महिलाएं थीं। मोटापे के लिए दहलीज से ठीक ऊपर, उनका मास-बॉडी इंडेक्स 31 था।
लगभग आधे में कोई बीमारी नहीं थी, जैसे कि मधुमेह, पुरानी फेफड़ों की स्थिति, हृदय या गुर्दे की बीमारी या कैंसर। लगभग 20 प्रतिशत युवक इनमें से किसी एक से ग्रसिथ थे। 30 प्रतिशत से अधिक लोग दो बीमारी से ग्रसित थे। सभी रोगियों ने आउट पेशेंट क्लीनिकों में मार्च 2018 और मार्च 2020 के बीच कम से कम तीन बार नियमित शारीरिक गतिविधि के अपने स्तर की रिपोर्ट की थी।
इनमें 15 प्रतिशत ने खुद को निष्क्रिय (प्रति सप्ताह शारीरिक गतिविधि के 0-10 मिनट) होने की जानकारी दी। लगभग 80 प्रतिशत ने कुछ गतिविधि (11-149 मिनट / सप्ताह) की सूचना दी। सात प्रतिशत राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के अनुसार खुद को फिट बताया। इनमें से ऐसे युवक जो शारीरिक रूप से स्थुल थे, उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना दोगुना से अधिक थी। उनमें गहन देखभाल की संभावना 73 प्रतिशत अधिक थी। संक्रमण के कारण मरने की संभावना 2.5 गुना अधिक थी।