नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के एक जज ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि डिवीजन बेंच उनके सारे आदेश पलट रही है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इस मामले में दखल दें क्योंकि मामला न्यायपालिका की गरिमा और जनता में विश्वास से जुड़ा है. हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजित गांगुली ने CJI से उस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है, जिसमें हाईकोर्ट जज के आदेशों पर उसी हाईकोर्ट की अपील बेंच बार-बार रोक लगा रही है.

जस्टिस गांगुली का आरोप है कि हाल ही में उन्होंने एक स्कूल के मामले में आदेश दिया और कुछ घंटों बाद ही अपीलीय खंडपीठ ने उस पर रोक लगा दी. जस्टिस गांगुली ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा घटाने के कई प्रमाण उनके पास हैं. वर्चुअल सुनवाई के दौरान हुई एक घटना का भी हवाला दिया है.

जस्टिस गांगुली का दावा है कि वर्चुल सुनवाई के दौरान इन्हीं मामलों से जुड़े एक वकील कैमरे पर बोलते सुने गए कि यहां से आदेश जो भी आए कोई फिक्र नहीं क्योंकि खंडपीठ के जजों से बात हो गई है, वहां से रिलीफ मिल जाएगा, यानी जस्टिस अभिजीत गांगुली के आदेश पर स्टे मिल जाएगा. जस्टिस गांगुली की मुश्किलों का अंत यहीं नहीं है. एक मामले में तो ऐसा भी हुआ कि एकल पीठ के तौर पर उन्होंने पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग के मुख्य सलाहकार शांति प्रसाद सिंह की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगा था. उसी खंडपीठ ने उस आदेश पर भी तत्काल रोक लगा दी.

जस्टिस अभिजित गांगुली ने हाल के कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए कर्मचारियों के ग्रुप डी और सी में भर्ती और शिक्षकों की नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार और धांधली के मामलों चार बार जांच सीबीआई से कराने का फरमान जारी किया था. चारों बार जस्टिस हरीश टंडन की अगुआई वाली दो जजों की खडंपीठ ने आदेश या तो स्टे कर दिए या फिर सीधे रद्द कर दिया. एकल जज पीठ के सभी फैसलों को राज्य सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी. खंडपीठ ने सभी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी.

इससे नाराज जस्टिस गांगुली ने अपनी कोर्ट में यह तल्ख टिप्पणी भी की कि देश भी देख ले कि यहां क्या हो रहा है! पूरे मामले को उसी हिसाब से जज किया जाए. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस से इस मनमानी में दखल देने की अपील करते हुए जस्टिस गांगुली ने कहा है कि खडंपीठ ने एकल पीठ के हाथ बांधने का काम किया है. हर फैसले और आदेश को बिना ठोस कारण बताए स्टे कर न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाई है. कोर्ट में इन कदमों से भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा मिलेगा.