कोरबा 26 नवम्बर। सिंघाली भूमिगत परियोजना में ठेका श्रमिकों से काम कराने के बाद मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। 18 लाख रुपये हड़पने के मामले में आरोपित बनाए गए एसईसीएल अधिकारी समेत चार लोगों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की सिंघाली परियोजना में शारदा विहार निवासी संतोष शर्मा ने वर्ष 2014-2015 तक ठेका श्रमिकों को नियोजित किया था। इन श्रमिकों को पारिश्रमिक के बदले सीनियर सर्वे मैनेजर डीएस राजपूत, उनके रिश्तेदार गजेन्द्र सिंह तोमर, खदान प्रबंधक सिंघाली जितेंद्र मिश्रा व सब एरिया मैनेजर के रामाकृष्णन द्वारा छह हजार प्रति श्रमिक देने के बदले 2400 रुपये का भुगतान किया गया। इस तरह पूरे कार्य का केवल 12 लाख 26 हजार रुपए का ही भुगतान किया गया, जबकि 18 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया। आरोप है कि राशि मांगने पर अधिकारियों द्वारा गाली-गलौज कर जान से मारने कि धमकी दी गई। इसके बाद ठेकेदार द्वारा न्यायालय में दायर परिवाद पर जारी आदेश उपरांत बांकीमोंगरा थाना में धारा 420, 34 के तहत अपराधभी दर्ज किया गया। इस पर आरोपितों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रकरण का खात्मा करने रिट पिटीशन दायर की। न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास द्वारा उसे निरस्त कर अग्रिम कार्रवाई करने निर्देशित किया गया, तब आरोपितों ने अपर सत्र न्यायाधीश कटघोरा लीलाधर साय यादव के समक्ष अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में न्यायाधीश ने केस डायरी के अवलोकन में उपलब्ध प्रथम दृष्टया साक्ष्य को देखते हुए इन आरोपितों को अग्रिम जमानत नहीं दिया और डीएस राजपूत, जितेन्द्र मिश्रा, के रामाकृष्णन, गजेन्द्र सिंह तोमर का अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया।