जयपुर। टोना-टोटका कराने से परेशान बेटे ने 4-5 दिन पहले पिता की हत्या कर दी थी। मामला दौसा के मेहंदीपुर बालाजी के पास का है। राजसमंद में 13 महीने के बीमार बच्चे को परिजन भोपे (तांत्रिक) के पास ले गए। उसके शरीर में 2 ग्राम ही ब्लड बचा था। उसकी हालत बिगड़ी तो सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर ने अपना खून देकर जान बचाई। ये सब तो उदाहरण भर है।
विज्ञान के इस युग में भी राजस्थान के कुछ इलाकों से अंधविश्वास की पट्टी हटाए नहीं हट रही। रातों-रात अमीर बनने का लालच, बेटे की चाहत और बदला लेने का गुस्सा। ये सब चुटकियों में हासिल करने के लिए आज भी लोग तांत्रिकों के पास जाते हैं। इसका अंजाम इतना भयानक होता है कि पूरा परिवार उजड़ जाता है। अंधविश्वास का जिन्न तो विधानसभा तक पहुंच चुका है।
तांत्रिकों ने तो अपनी कथित क्रियाओं से कई मासूमों की बलि चढ़ा दी। गंभीर बीमारी से छुटकारा दिलाने के नाम पर गर्म सरिया से बच्चों को दागा जाता है। अधमरा कर दिया जाता है। एक तांत्रिक ने तो अमीर बनने के लिए श्मशान में दबे 30 बच्चों के शव कब्र से बाहर निकाल डाले। करोड़पति बनने की चाह में 11 साल के बच्चे की बलि दे दी गई। पड़ताल में सामने आया कि राजस्थान में हर साल 200 से ज्यादा ऐसे मामले आते हैं। टोने-टोटकों की आड़ में 50 से ज्यादा लोगों को जान देनी पड़ती है। भीलवाड़ा, अलवर, चितौड़गढ़, करौली, बांसवाड़ा, डूंगरपुर तो तांत्रिकों के गढ़ माने जाते हैं।