रायपुर। जंगल और जंगल के आसपास के खुले कुओं (ओपनवेल) और सूखे तथा अनुपयोगी कुओं में दुर्घटनावश वन्य प्राणियों जैसे तेंदुआ, भालू, लकडबग्घा, हाथी, लोमड़ी इत्यादि के गिरने से हो रही मौतों और इस तरह की घटनाओं में वन्यप्राणियों के चोटिल होने से रोकने के लिए जो निर्देश हैं, उसका पालन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि समय-समय पर छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं।
कांकेर में कुएं में डूब कर हुई तेंदुए की मौत
बीते 27 जनवरी 2022 को कांकेर वन मंडल में ऐसे ही एक खुले कुएं में गिर कर एक तेंदुए की मौत हो गई। अगर वन विभाग का अमला जागरूक होता, भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन के पत्रों का गलत अर्थ न निकाल कर निर्देशों का पालन किया गया होता तो तेंदुए की मौत नहीं होती। वन्यप्राणियों की इस तरह कुओं में गिर कर हो रही मौतों को लेकर आज वन मंत्री को वन्य पशु प्रेमी नितिन सिंघवी द्वारा शिकायत प्रेषित कर कार्यवाही की मांग की गई है।
निर्देशों का हुआ है उल्लंघन
वन मंत्री को प्रेषित शिकायत में बताया गया है कि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन दोनों के पत्रों में स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिए गए है, जिसका कोई और मतलब नहीं निकाला जा सकता, बावजूद इसके प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने अधीनस्थों को पत्र में क्यों लिखा कि आवेदक नितिन सिंघवी द्वारा प्रस्तुत शिकायती पत्र पर जंगलों में और उसके आसपास खुले कुएं वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, के संबंध में सुझाव पर अभिमत चाहा गया है? इससे प्रमाणित होता है कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों के मन में वन्यजीवों की लिए कोई सदभावना नहीं है और न ही वन्यजीवों की रक्षा की लिए उत्सुकता है। इस पूरे प्रकरण में भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों को लापरवाही पूर्वक नजरंदाज करने के मामले में जांच करवाने की मांग वन मंत्री से की गई।
लगातार शिकायत के बावजूद हुई अनदेखी
पूरे मामले की जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता नितिन सिंघवी द्वारा बताया गया कि 2017 में सूखे कुएं में गिरने से एक हाथी की मौत हो गई थी। इस प्रकार के कुओं के चारों ओर उचित उंचाई की दीवाल (जगत) बनाने या जाली से ढंकने एवं सूखे तथा अनुपयोगी कुओं को बंद करने की मांग वे वर्ष 2018 से छत्तीसगढ़ के वन विभाग से कर रहे हैं। वन विभाग द्वारा खुले कुओं में वन्य प्राणियों की गिरने से हो रही मौतों को नजर अंदाज कर कोई कार्यवाही नहीं करने और इस वजह से वन्यजीवों की लगातार हो रही मौतों को लेकर सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर कर खुले कुओं को बंद करवाने कार्यवाही की मांग सितम्बर 2021 में की गई थी।
ये निर्देश दिए हैं केंद्र और राज्य सरकार ने
नितिन सिंघवी की शिकायत पर भारत सरकार द्वारा 27 सितंबर 2021 को सचिव, वन विभाग महानदी भवन छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर मामले में जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, दोनों सरकारों ने अभिमत तो मांगा ही नहीं था। भारत सरकार से पत्र मिलने बाद छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने तत्काल चार दिन पश्चात ही दिनांक 01.10.2021 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को भारत सरकार के पत्र पर आवश्यक कार्यवाही कर कृत कार्यवाही / प्रतिवेदन से छत्तीसगढ़ शासन को अवगत करवाने के निर्देश दिए गए। भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों के मुताबिक प्रदेश भर में वन क्षेत्रों और उसके आसपास खुले हुए कुओं, जिनमें वन्य प्राणियों के गिरने की संभावना हो, के चारों तरफ ऊंची दीवाल बनाने अथवा जाली से ढंकने का काम करना था।
शासन ने दिए निर्देश तो अधीनस्थों से मांगा सुझाव पर अभिमत..!
भारत सरकार तथा छत्तीसगढ़ शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कार्यालय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने छत्तीसगढ़ शासन के पत्र के लगभग 2 माह पश्चात दिनांक 26.11.2021 को अपने अधीनस्थ मुख्य वन संरक्षक (क्षेत्रीय), मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) तथा वन संरक्षक प्रोजेक्ट एलीफेंट रिज़र्व सरगुजा को पत्र लिखकर कहा “भारत सरकार नई दिल्ली से प्राप्त पत्र में आवेदक नितिन सिंघवी द्वारा प्रस्तुत शिकायती पत्र पर जंगलों में और उसके आसपास स्थित खुले कुएं वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, के संबंध में सुझाव पर अभिमत चाहा गया है। अतः निर्देशानुसार उक्त पत्र पर आवश्यक कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही से अभिमत इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें“।
नितिन सिंघवी ने मांग की है कि वन विभाग को खुलासा करना चाहिए कि किस बात का अभिमत उन्हें अधीनस्थों से चाहिए? क्या वन विभाग को नहीं मालूम कि राज्य निर्माण पश्चात सैकड़ों वन्यजीव खुले कुएं में गिर कर मर गए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में 27 जनवरी को कांकेर में खुले कुए में गिरकर एक तेंदुए की पानी में डूबने से मौत हो गई। अगर वन विभाग सुझाव पर अभिमत मांगने की बजाये कुआं सुरक्षित करने की कार्यवाही करता तो इस तरह तेंदुए की जान नहीं जाती।